नई दिल्ली। देश का किसान समझ गया है कि मोदी सरकार ने उन्हें धोखा दिया है और अब वो पीछे नहीं हटने वाला। वो जानता है कि अगर आज समझौता कर लिया तो उसका भविष्य नहीं बचेगा। ये बात कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात के बाद कही। राहुल गांधी विपक्षी नेताओं के एक डेलिगेशन के साथ राष्ट्रपति से मिले, जिसमें एनसीपी प्रमुख शरद पवार, सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी, सीपीआई महासचिव डी राजा और डीएमके नेता टीआर बालू शामिल थे। 



राष्ट्रपति से मिलकर आने के बाद प्रेस को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने केंद्र सरकार के कृषि बिलों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का समर्थन करते हुए कहा, 'किसानों ने ही इस देश की नींव रखी है और वे दिनभर इस देश के लिए काम करते हैं। यह बिल जो केंद्र सरकार ने पास किया वह पूरी तरह से किसान विरोधी हैं, जबकि पीएम मोदी ने कहा है कि यह बिल किसानों के हित के लिए हैं। सवाल उठता है कि यदि ये किसानों के हित में हैं तो वे सड़कों पर क्यों हैं? वह इतने गुस्से में क्यों हैं? क्योंकि इन बिलों का लक्ष्य एग्रीकल्चर सेक्टर पर पीएम मोदी के मित्रों का कब्ज़ा करवाना है और किसान इसे अच्छी तरह से समझ गए हैं।'





 



किसानों की शक्ति के आगे कोई खड़ा नहीं रह सकता



राहुल गांधी ने केंद्र सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि वह इस गलतफहमी में न रहें कि किसान डर जाएंगे। उन्होंने कहा, 'किसान की शक्ति के सामने कोई नहीं खड़ा हो सकता है। सरकार को इस गलतफहमी में नहीं रहना चाहिए कि किसान हट जाएंगे और डर जाएंगे। हिंदुस्तान का किसान डरेगा नहीं, हटेगा नहीं, जबतक ये बिल रद्द नहीं कर दिए जाते।'



यह भी पढ़ें: देश के अन्नदाता की हालत समझिए, हर किसान पर है औसतन एक लाख का क़र्ज़



किसानों को कोई पीछे नहीं हिला सकता



राहुल गांधी ने किसानों से कहा कि वे अपनी मांगों को लेकर मज़बूती से डटे रहें। पूरा देश उनके साथ है। राहुल ने कहा, 'किसान समझौता नहीं करेंगे, क्योंकि उन्हें  पता है कि यदि वह आज समझौता कर लेंगे तो उनका भविष्य नहीं रहेगा। मैं किसानों से कहना चाहता हूं कि यदि आप आज खड़े नहीं हुए तो फिर आप कभी नहीं खड़े हो पाओगे। हमसब आपके साथ हैं, आप बिलकुल मत घबराइए, आपको कोई पीछे नहीं हिला सकता। आप हिंदुस्तान हो।



सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी ने राष्ट्रपति से मुलाकात के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि उन्होंने विपक्ष की तरफ से राष्ट्रपति को एक ज्ञापन सौंपा है, जिसमें कृषि कानूनों को फौरन वापस लिए जाने की मांग की गई है। उन्होंने बताया कि देश के किसानों की इस मांग का समर्थन 25 से ज्यादा विपक्षी दल कर रहे हैं।