दो हफ़्ते से सड़क पर क्यों हैं देश के अन्नदाता, ज़रा समझिए देश के किसानों का हाल

देश में केवल 6% किसानों को मिलता है MSP, भारत में एक किसान को सब मिलाकर औसतन 20 हज़ार रुपये सब्सिडी मिलती है, अमेरिका में एक किसान 45 लाख रुपये से ज़्यादा सब्सिडी पाता है

Updated: Dec 10, 2020, 01:39 AM IST

Photo Courtesy: DNA
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देश में कृषि कानून के खिलाफ किसानों का हल्ला बोल जारी है। किसान पूरे देश में समर्थन मूल्य पर अनाज खरीदी सुनिश्चित करने समेत कई मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। इसका मुख्य कारण है कि बड़ी संख्या में किसान बदहाली का जीवन जीने को मजबूर हैं। इस बात का खुलासा नाबार्ड की एक रिपोर्ट में हुआ है। साल 2019 में भारतीय किसानों की हालत की जानकारी देने वाली नाबार्ड की इस रिपोर्ट के अनुसार देश में हर किसान पर एक लाख रुपए से ज्यादा का कर्ज है। नाबार्ड की इस रिपोर्ट के अनुसार भारत में 52.5 फीसदी किसान परिवार कर्ज लेते हैं।

भारत में किसानों पर कर्ज़ के भारी बोझ की सबसे बड़ी वजह यह है कि उन्हें अपनी फसलों का उचित मूल्य नहीं मिलता है। यही वजह है कि देश भर के किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी मांग रहे हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार भारत के मात्र 6 फीसदी किसानों को ही न्यूनतम समर्थन मूल्य मिल पाता है।  

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इंडियन स्टैटिकल इंस्टीट्यूट की मार्च 2019 की रिपोर्ट के मुताबिक देश में केंद्र और राज्य सरकारें मिलाकर किसानों को कुल 3.36 लाख करोड़ रुपये की सब्सिडी देती हैं। इनमें केंद्र सरकार 1,20,500 करोड़ रुपये और राज्य सरकारें 1,15,500 करोड़ रुपये की सब्सिडी किसानों को देती हैं। लेकिन सेंटर फॉर डब्ल्यूटीओ स्टडीज की साल 2018-19 की रिपोर्ट के मुताबिक देश के एक किसान को सभी स्रोतों से कुल मिलाकर औसतन 20 हजार रुपये ही सब्सिडी मिलती है। इसके मुकाबले अमेरिका में एक किसान को औसतन 45 लाख 22 हज़ार रुपये की सब्सिडी मिलती है।

किसान के हितैषी होने का दावा करने वाली केंद्र सरकार के पास देश के किसानों की संख्या की कोई पुख्ता जानकारी नहीं है। प्रधानमंत्री किसान निधि योजना के लिए केंद्र ने 14.5 करोड़ किसान परिवारों की संख्या मानी है। कृषि जनगणना 2015-16 के अनुसार 68 फीसदी किसानों के पास एक हेक्टेयर से भी कम जमीन है। यह कृषि जनगणना साल 2018 में जारी हुई थी। दो हेक्टेयर तक जमीन मालिक छोटे किसान माने जाते हैं। देश में 86 फीसदी कृषि भूमि सीमांत और छोटे किसानों के पास है।

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साल 2015-16 की कृषि जनगणना के अनुसार उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा लोगों के पास खेती करने योग्य जमीन हैं। यूपी में 2.38 करोड़ लोगों के पास खेती की जमीन है। दूसरे नंबर पर बिहार और तीसरे नबंर पर महाराष्ट्र है, बिहार में 1.64 करोड़ लोगों के पास खेती की जमीन है, महाराष्ट्र में 1.52 करोड़, मध्य प्रदेश में 1 करोड़, कर्नाटक 0.8 करोड़, आंध्रप्रदेश में 0.852 करोड़ लोगों के पास खेती योग्य जमीनें हैं।

एनएसएसओ के आंकड़ों के हिसाब से साल 2012-13 में हर किसान परिवार की औसत मासिक आमदनी 6426 रुपए थी। वहीं साल 2016 में प्रकाशित नाबार्ड की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि किसानों की औसत मासिक 8931 रुपए है। किसानों की कुल आमदनी का पुख्ता रिकॉर्ड तक सरकार के पास नहीं है। सरकार किसानों से बड़े-बड़े वादे तो करती है, लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और ही है। किसानों के साथ किए दावे और वादे केवल कागजी हैं। हकीकत में देश के ज़्यादातर किसान बदहाली की जिंदगी जीने को मजबूर है।