नई दिल्ली। रविवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपने पैतृक गांव पहुंचते ही अपनी मातृभूमि को स्पर्श किया। राष्ट्रपति ने विमान से उतरते ही अपने गांव की मिट्टी को माथे से लगा लिया। इसके बाद राष्ट्रपति जब अपने स्वागत समारोह को संबोधित करने पहुंचे तब वे खुद भावुक हो गए और यादों की पिटारे में खो गए। 

राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि उन्होंने कभी सपने में भी यह नहीं सोचा था कि वे कभी देश के राष्ट्रपति बनेंगे। महामहिम ने कहा कि अब उत्तर प्रदेश के लोगों के लिए राष्ट्रपति भवन का रास्ता खुल गया है। अब यूपी के किसी भी गांव का कोई व्यक्ति राष्ट्रपति बन सकता है।

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राष्ट्रपति ने कानपुर देहात स्थित अपने पैतृक गांव परौंख में पहुंचकर सबसे पहले अपनी बेटी के साथ पथरी देवी के मंदिर पहुंचे। राष्ट्रपति बनने के बाद पहली बार आज राष्ट्रपति अपने पैतृक गांव पहुंचे हैं। लिहाजा खुद राष्ट्रपति के साथ साथ उनके पूरे गांव के लिए यह भावुक भरा क्षण है। 

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राष्ट्रपति ने कहा कि इस बार भले ही उन्हें अपने गांव में आने में काफी देर हो गई लेकिन अगली बार से ऐसा नहीं होगा। राष्ट्रपति ने कहा कि वे इस बीच में अपने गांव आना चाहते थे, लेकिन एक बार जरूरी काम पड़ने से और बाद में कोरोना के चलते वे अपने गांव नहीं पहुंच पाए। राष्ट्रपति ने कहा कि उनका गांव और उसकी मिट्टी हमेशा उनकी यादों में रहते हैं।