नई दिल्ली। विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन के एक साल पूरा होने को है, लेकिन सरकार और किसानों के बीच इस गतिरोध का कोई निष्कर्ष नहीं निकल सका है। केंद्र सरकार के अड़ियल रवैए से अब किसानों के सब्र का बांध टूटने लगा है। सिंघु बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे एक और किसान ने बुधवार को आत्महत्या कर ली। आंदोलन स्थल से थोड़ी ही दूरी पर मृतक किसान का शव पेड़ से लटका मिला है।

मृतक किसान की पहचान फतेहगढ़ साहिब जिले के अमलोह तहसील के रुढ़की गांव निवासी 45 वर्षीय गुरप्रीत सिंह के रूप में हुई है। बताया जा रहा है कि वे भारतीय किसान यूनियन (BKU) एकता सिधुपुर से जुड़े हुए थे। बीकेयू एकता सिधुपुर के जिला संयोजक गुरजिंदर सिंह ने बताया कि सुबह करीब 6 बजे उन्हें किसान के आत्महत्या की सूचना मिली। आनन-फानन पर वे मृतक को अस्पताल ले गए जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

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बताया जा रहा है कि मृतक किसान के गांव की ट्रैक्टर ट्रॉली सोनीपत कुंडली बॉर्डर स्थित आंदोलन स्थल पर लंबे समय से थी। दिवाली के मौके पर उनके ट्राली के अन्य साथी गांव गए थे, लेकिन उन्होंने आंदोलन स्थल पर ही रुकने का निर्णय लिया था। प्रदर्शनकारी किसानों के मुताबिक सोमवार से गुरप्रीत इस बात को लेकर परेशान हो गए थे सरकार कब किसानों की गुहार सुनेगी। सरकार के अड़ियल रवैये से वह काफी दुखी थे और इसी कारण उन्होनें आत्महत्या जैसा बड़ा कदम उठाया।

बीकेयू संयोजक गुरजिंदर सिंह ने बताया कि मृतक ने कोई सूसाइड नोट नहीं छोड़ा है। हालांकि, उनके हाथों पर सिर्फ एक शब्द 'जिम्मेदार' लिखा हुआ है। मामले पर पुलिस ने कहा है कि प्रथम दृष्टया यह आत्महत्या ही प्रतीत होता है। पुलिस सीआरपीसी की धारा 174 के तहत घटना की जांच शुरू कर दी है।