पटना। आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के जेल से बाहर आते ही बिहार में सियासी उथलपुथल तेज हो गई है। दिल्ली में स्वास्थ्य लाभ ले रहे लालू ने शुक्रवार को अपने जन्मदिन के मौके पर सूबे के सियासी मैदान में एंट्री मारी है। लालू ने सबसे पहले एनडीए सरकार के सहयोगी जीतन राम मांझी से बातचीत की, जिसके बाद आरजेडी ने नीतीश को चुनौती देते हुए कहा है कि हिम्मत है तो वे अपनी सरकार बचा लें।

दरअसल, लालू यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव शुक्रवार को हिंदुस्तान आवाम मोर्चा के अध्यक्ष जीतन राम मांझी से मिलने उनके घर पहुंचे। तेजप्रताप ने यहां बंद कमरे में जीतनराम मांझी से बातचीत करने के बाद अपने पिता लालू यादव को फोन मिलाया। इसके बाद लालू और मांझी ने 12 मिनट तक फोन पर बातचीत की। जाहिर है इतनी देर तक उन्होंने लालू को सिर्फ जन्मदिन की बधाइयां नहीं दी होगी।

मीडिया सूत्रों की मानें तो लालू ने इस 12 मिनट में बड़ा सियासी खेल रचा है। बताया जा रहा है कि लालू ने मांझी को महागठबंधन में आने के लिए जबरदस्त ऑफर दिया है। शर्त ये है कि मांझी को अपने साथ वीआईपी के नेता और एनडीए के सहयोगी मुकेश साहनी को भी लाना होगा। इस 12 मिनट के बातचीत के बाद तेजप्रताप ने वहां से विदा लिया। तेजप्रताप यादव ने मीडिया को बताया कि ये महज एक सामान्य मुलाकात थी और वे मांझी अंकल से आशीर्वाद लेने गए थे।

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इस मुलाकात के बाद आरजेडी राज्य में अपनी सरकार बनाने को लेकर इतनी आश्वस्त है कि पार्टी नेताओं ने एनडीए को सरकार बचाने की चुनौती दे डाली है। आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा है कि समझने वाले समझ गये, जो न समझे वह अनाड़ी है। एनडीए में अब हिम्मत है तो अपनी सरकार बचाकर दिखाए। उधर जेडीयू प्रवक्ता अजय आलोक ने कहा है कि लालू यादव मुंगेरी लाल के हसीन सपने देख रहे हैं।

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दरअसल, बिहार की नीतीश सरकार जीतन मांझी और मुकेश साहनी के 4-4 विद्यायकों के कंधे पर टिकी हुई है। माना जा रहा है कि ये दोनों नेता सरकार में अपनी उपेक्षा से नाराज चल रहे हैं। मांझी और साहनी इसी हफ्ते गुप्त मंत्रणा भी कर चुके हैं।

लालू यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव जीतन मांझी को महागठबंधन में शामिल होने का न्योता भी दे चुके हैं और आज वे न केवल लालू का संदेशा लेकर मांझी से मिलने पहुंचे बल्कि दोनों की बात भी कराई। उधर दिल्ली में लालू ने अपने विश्वस्त नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी के साथ भी मंत्रणा की। अब देखना यह होगा कि लालू का 12 मिनट का यह फोन कॉल बिहार की राजनीतिक इतिहास में कौन सा नया अध्याय जोड़ता है।