नई दिल्ली। मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल समेत 12 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेश में आज से वोटर लिस्ट समीक्षा का अभियान शुरू हो रहा है। इन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कुल 51 करोड़ मतदाता हैं। यह अभियान सात फरवरी, 2026 को अंतिम मतदाता चुनावी सूची के प्रकाशन के साथ समाप्त होगा।
बिहार के बाद एसआइआर का यह दूसरा चरण है। विपक्ष के भारी विरोध के बीच लगभग 7.42 करोड़ नाम वाली बिहार की अंतिम मतदाता सूची 30 सितंबर को प्रकाशित की गई थी। जिन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में एसआइआर का दूसरा चरण आयोजित किया जाएगा, उनमें उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, अंडमान और निकोबार द्वीप, लक्षद्वीप, गोवा, गुजरात, केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु और बंगाल शामिल हैं।
इनमें से तमिलनाडु, पुडुचेरी, केरल और बंगाल में 2026 में विधानसभा चुनाव होंगे। अधिकांश राज्यों में अंतिम एसआइआर 2002 से 2004 के बीच हुआ था। असम में भी 2026 में विधानसभा चुनाव होने हैं, लेकिन वहां के लिए एसआइआर की घोषणा अलग से की जाएगी क्योंकि अभी सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में वहां नागरिकता की जांच का काम चल रहा है।
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने 27 अक्टूबर को एसआइआर के दूसरे चरण की घोषणा की थी। उनके अनुसार, एसआइआर चार नवंबर से गणना चरण के साथ शुरू होगा और चार दिसंबर तक जारी रहेगा। चुनाव आयोग नौ दिसंबर को प्रारंभिक मतदाता सूची जारी करेगा और अंतिम सूची सात फरवरी को प्रकाशित की जाएगी। आयोग का दावा है कि एसआइआर यह सुनिश्चित करेगा कि कोई भी योग्य मतदाता छूट न जाए और कोई भी अयोग्य मतदाता इस सूची में शामिल न हो।
हालांकि, बिहार की तरह बंगाल, तमिलनाडु जैसे विपक्षशासित राज्यों में भी एसआईआर को लेकर सड़क से सुप्रीम कोर्ट तक विरोध तेज हो गया है। बंगाल में टीएमसी विधायक की धमकी वाले वीडियो के बीच घर-घर जाकर मतदाताओं का सत्यापन करने वाले बीएलओ की सुरक्षा मुस्तैद करने की मांग उठी है। वहीं तृणमूल कांग्रेस एसआईआर के खिलाफ 4 नवंबर को कोलकाता में एक मार्च निकालेगी, जिसकी अगुवाई बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी करेंगी।
बंगाल के साथ-साथ तमिलनाडु भी SIR के विरोध में है। डीएमके ने एसआईआर के खिलाफ सुप्रीम का दरवाजा खटखटाया है। स्टालिन का आरोप है कि इस प्रक्रिया का मकसद असली वोटर्स को हटाना है, खासकर वह वोटर्स, जो बीजेपी का विरोध करने वाले माने जाते हैं। राज्य में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले उनको हटाने की साजिश रची जा रही है।