जयपुर। राजस्थान में चल रहे सियासी घमसान के बीच गहलोत कैंप का अड़ियल रुख बरकरार है। गहलोत समर्थकों ने पर्यवेक्षकों से भी मिलने से इनकार कर दिया है। दरअसल, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे को राजस्थान सरकार में चल रहे गतिरोध को हल करने के लिए जयपुर भेजा गया था। लेकिन गहलोत कैंप ने मुलाकात से मना कर दिया। ऐसे में अब वे वापस लौट रहे हैं।

जानकारी के मुताबिक सोनिया गांधी ने माकन और खड़गे को आदेश दिया था कि वह विधायकों से वन टू वन मिलें और उनसे बात करें। नाराज विधायक पर्यवेक्षकों से मिलने को तैयार नहीं हैं। अब पर्यवेक्षक मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन दोनों आज दिल्ली आएंगे और शीर्ष नेतृत्व को रिपोर्ट सौंपेंगे।हाईकमान से चर्चा के बाद अब तय किया जाएगा कि अगला कदम क्या होगा।

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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक गहलोत कैंप के विधायकों ने दो शर्तें रखी हैं। पहला ये की मुख्यमंत्री का उत्तराधिकारी कोई ऐसा होना चाहिए, जिसने 2020 में राजनीतिक संकट के दौरान सरकार को बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, न कि कोई ऐसा जो इसे गिराने के प्रयास में शामिल था। दूसरी शर्त यह कि वे तब तक कांग्रेस विधायक दल की बैठक नहीं चाहते जब तक कि कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव न हो जाए। जो कि 19 अक्टूबर को होना है। पहली शर्त से साफ है कि विधायक नहीं चाहते हैं कि पायलट मुख्यमंत्री बनें।

वहीं इस मामले में गहलोत का कहना है कि उनके हाथ में कुछ नहीं है क्योंकि विधायक नाराज हैं और मुख्यमंत्री पद के लिए पायलट का समर्थन करने के लिए तैयार नहीं हैं। अब देखना यह होगा कि इस बागी रुख के बाद आलाकमान का क्या निर्णय होता है। जानकारी के अनुसार कांग्रेस आलाकमान एक फॉर्मूले पर सहमति के लिए काम कर रहा है। कि इस फॉर्मूले के अनुसार  सचिन पायलट को सीएम बना दिया जाए, जबकि बाकी सभी मंत्री गहलोत कैंप से बना दिया जाएं। राजस्थान में सरकार चलाने के लिए गहलोत-पायलट कैंप में संतुलन के लिए कोआर्डिनेशन कमेटी भी बनाने का फार्मूला है।