नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पेगासस जासूसी कांड को लेकर अपने रुख से चकित कर दिया। केंद्र सरकार ने खुद इस मामले में हलफनामा दायर करने के लिए कोर्ट से दो बार समय मांगा था। लेकिन अब केंद्र सरकार ने कोर्ट से कहा है कि वो इस मामले में कोर्ट में हलफनामा दायर नहीं करेगी।  

कोर्ट में सरकार का पक्ष रख रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अजीबोगरीब दलील देते हुए कहा कि सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल हुआ या नहीं यह सार्वजनिक बहस का मुद्दा नहीं है। इसलिए सरकार इस मामले में हलफनामा दायर नहीं करेगी। हालांकि सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि इस मामले में सरकार स्वतंत्र जांच समिति गठित करने के लिए तैयार है।  

सरकार के इस रवैये पर सुप्रीम कोर्ट की सीजेआई वाली बेंच ने आपत्ति जताई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमने सरकार को हलफनामा दायर करने के लिए पर्याप्त समय दिया, लेकिन सरकार ने इसे दायर नहीं किया। सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए कहा कि हम अब कर भी क्या सकते हैं, अब हमें हलफनामा दायर करने के लिए आदेश देना होगा।  

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि जासूसी का यह मामला बेहद गंभीर है और हम जवाब चाहते हैं। हां, राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों में हमारी कोई दिलचस्पी नहीं है, इसलिए हमने एक सीमित जवाब मांगा था। कोर्ट ने यह मामला सुरक्षित रख लिया। अब आने वाले दो तीन दिनों में सुप्रीम कोर्ट हलफनामा दायर करने के लिए सरकार को आदेश जारी कर सकती है।  

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पेगासस जासूसी कांड जुलाई महीने में सामने आया था। इस खुलासे में यह जानकारी सामने आई थी कि भारत की नामचीन हस्तियों की फोन टैपिंग की गई है।  इसमें पत्रकारों, राजनेताओं, न्यायिक अधिकारियों, एक्टिविस्ट, नौकरशाहों और उद्योगपतियों के भी नाम सामने आए थे। खुलासे के मुताबिक पेगासस स्पाईवेर के ज़रिए समय-समय पर इन लोगों के फोन को हैक किया गया। पेगासस स्पाईवेयर इज़राइली कंपनी एनएसओ द्वारा निर्मित किया गया। एनएसओ यह सोफ्टवेयर केवल सरकार से जु़ड़े हुए लोगों को देती है।  

इतना खुलासा होने के बाद सबके शक की सुई सीधे मोदी सरकार पर जा कर लटक गई। संसद में मोदी सरकार पर इस मामले में चर्चा करने के लिए लगातार दबाव बनाया गया, लेकिन मोदी सरकार इस मामले में चर्चा करने के लिए राज़ी नहीं हुई। संसद का मॉनसून सत्र भी तय समय से पहले ही समाप्त हो गया। इस दौरान वरिष्ठ पत्रकार एन राम सहित अन्य याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट में याचिका दाखिल कर दी। जिसके बाद से लगातार सुप्रीम कोर्ट इस पूरे मामले की सुनवाई कर रहा है।