नई दिल्ली। बिलकिस बानो गैंगरेप केस में दोषियों की रिहाई के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और गुजरात सरकार को नोटिस जारी किया है। मामले की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस एन वी रमना, जस्टिस अजय रस्तोगी और विक्रम नाथ की बेंच ने तीखी टिप्पणी की है। सर्वोच्च अदालत ने कहा, 'हमें यह देखना होगा कि दोषियों की रिहाई के फैसले में दिमाग का इस्तेमाल किया गया या नहीं।'

सुनवाई के बाद कोर्ट ने गुजरात सरकार को नोटिस जारी कर पूरे मामले पर जवाब मांगा है। साथ ही दोषियों को पक्षकार बनाने के निर्देश दिए। अब इस मामले में अगली सुनवाई दो हफ्ते बाद होगी। सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने सवाल किया कि 14 लोगों की हत्या और गर्भवती महिला से गैंगरेप के दोषियों को छोड़ दिया गया? हम चाहते हैं कि रिपोर्ट यहां मंगाई जाए और देखा जाए कि कमेटी ने कैसे रिहाई की सिफारिश की।

इस दौरान गैंगरेप के दोषियों के वकील ने इसका विरोध किया और कहा कि याचिकाकर्ता तीसरा पक्ष हैं। सुनवाई के दौरान जस्टिस अजय रस्तोगी ने कहा कि सवाल यह है कि गुजरात के नियमों के तहत दोषी छूट के हकदार हैं या नहीं? मैंने कहीं पढ़ा है कि लिखा था कि सुप्रीम कोर्ट ने रिहा करने का आदेश दिया था। लेकिन नहीं, हमने केवल गुजरात को कानून के अनुसार आगे बढ़ने के लिए कहा था।

गौरतलब है कि साल 2002 के गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस से सामूहिक बलात्कार किया गया था और उनके परिवार के सदस्यों की हत्या कर दी थी।बिलकिस के साथ गैंगरेप करने वाले 12 दोषियों को उम्र कैद की सजा सुनाई गई थी। उसमें से एक मुकद्दमे के दौरान मर गए और 11 लोगों को जेल भेजा गया। लेकिन बीते 15 अगस्त को गुजरात सरकार ने सभी दोषियों को रिहा कर दिया।