गांधीधाम, गुजरात। टाटा समूह के मशहूर जूलरी ब्रांड तनिष्क ने अपना सामाजिक सौहार्द वाला विज्ञापन भले ही वापस ले लिया, लेकिन उससे जुड़ा विवाद अब भी खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। खबर है कि गुजरात के गांधीधाम में तनिष्क के एक शोरूम पर कट्टरपंथियों ने बवाल किया और मैनेजर को माफीनामा लिखने को मजबूर किया। हालांकि बाद में स्थानीय पुलिस की तरफ से सफाई दी गई कि शोरूम में कोई हंगामा या तोड़फोड़ नहीं हुआ।



बाद में खबर आई कि कुछ लोगों के दबाव में शोरूम के मैनेजर ने माफीनामा लिखकर चिपकाया था। जिसकी तस्वीरें भी मीडिया में आईं। रिपोर्ट के मुताबिक माफीनामे में लिखवाया गया है, 'हम सेक्युलर विज्ञापन दिखाकर हिंदुओं की भावनाओं को आहत करने के लिए कच्छ जिले के लोगों से माफी मांगते हैं।' 



बहरहाल, तोड़फोड़ या बवाल हुआ हो या नहीं, इतना तो ज़रूर लग रहा है कि तनिष्क के विज्ञापन पर जिन लोगों ने एतराज़ किया था, उनके तेवर विज्ञापन वापस लिए जाने के बाद भी ढीले नहीं पड़े हैं। वरना किसी शोरूम के मैनेजर से माफीनामा लिखवाने का क्या औचित्य हो सकता है। जबकि थोड़ी भी समझ रखने वाला व्यक्ति जानता है कि किसी कंपनी की तरफ से देश भर में जारी होने वाले विज्ञापन और उसके कंटेंट में किसी शोरूम के मैनेजर की कोई भूमिका नहीं होती। ऐसे में इस तरह के हंगामे या माफीनामा जारी करने की ज़रूरत ही क्यों पड़नी चाहिए?



यह सवाल भी अपनी जगह बना ही हुआ है कि आखिर तनिष्क के विज्ञापन में ऐसा है ही क्या जिसके लिए कोई माफी मांगे या टाटा समूह की कंपनी को उसे वापस लेना पड़ जाए? क्या भारत जैसे बहुसांस्कृतिक देश में सभी धर्मों-संस्कृतियों को मानने वाले लोगों के बीच बेहतर आपसी रिश्तों की वकालत करना कोई गुनाह है? 

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क्या है पूरा मामला



दरअसल, पिछले हफ्ते कंपनी ने अपने नए कलेक्शन 'एकत्वम' को लेकर एक विज्ञापन जारी किया था जिसमें दो परिवारों के बीच अंतरधार्मिक विवाह दिखाया गया था। तनिष्क ने अपने विज्ञापन में दिखाया था कि कैसे एक मुस्लिम परिवार अपनी हिंदू बहू की गोदभराई की पूरी धूमधाम से तैयारी कर रहा है। विज्ञापन में दिखाया गया था कि कैसे एक मुस्लिम सास अपनी हिंदू बहू को बेटी की तरह प्यार कर रही है और गोदभराई की उन रस्मों को निभा रही है, जो मुस्लिम संस्कृति में प्रचलित नहीं हैं।





इस विज्ञापन में बहू जब अपनी सास से कहती है कि मां आप ये सब क्यों कर रही हैं, तब सास कहती हैं कि बेटी को खुश रखने का रिवाज तो हर घर में होता है। तनिष्क ने अपने इस विज्ञापन को एकत्वम का नाम दिया था और इसे विभिन्न धर्मों, प्रथाओं और संस्कृतियों का सुंदर मिलन बताया था।



ट्वीटर पर इस विज्ञापन के रिलीज होने के बाद से ही भारत की गंगा-जमनी तहजीब से नफरत करने वाले कट्टरपंथी तनिष्क के पीछे पड़ गए थे। ये कट्टरपंथी तनिष्क को लगातार बहिष्कार की धमकी दे रहे थे। विज्ञापन पर देश में लव-जिहाद और नकली धर्मनिरपेक्षता फैलाने का आरोप मढ़ा जा रहा था। विरोध करने वाले लोगों का कहना था कि विज्ञापनों में हमेशा मुस्लिम पति और हिंदू पत्नी को ही क्यों दिखाते हैं, ऐसा क्यों नहीं होता कि हिन्दू पति और मुस्लिम पत्नी हो।



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हालांकि विवाद को बढ़ता देख तनिष्क ने अपना यह विज्ञापन वापस भी ले लिया था। सोमवार को कंपनी ने इस बाबत बयान जारी कर कहा, 'एकत्वम अभियान का मकसद, इस चुनौतीपूर्ण समय के दौरान विभिन्न क्षेत्र के लोगों, स्थानीय समुदायों और परिवारों से एक साथ आकर जश्न मनाने का है। लेकिन इस फिल्म पर गंभीर व उकसाने वाली प्रतिक्रियाएं मिलीं जो फिल्म के उद्देश्य से बिल्कुल उलट है। हम बेवजह भावनाओं के इस तरह उत्तेजित होने से बेहद दुखी हैं और हमारे कर्मचारियों, साझेदारों और स्टोरकर्मियों की सुरक्षाा को ध्यान में रखते हुए इस फिल्म को वापस लेते हैं।'