विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने अंतिम वर्ष के छात्रों की परीक्षाओं के लिए दिशानिर्देश जारी कर दिए हैं। अंतिम वर्ष के छात्रों के लिए अब परीक्षा देना अनिवार्य कर दिया गया है।यूजीसी के दिशानिर्देश के मुताबिक स्नातक और स्नातकोत्तर के अंतिम वर्ष के छात्रों की परीक्षाएं सितम्बर अंत तक हर हाल में आयोजित होनी हैं। जबकि बाकी छात्रों को आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर अगले सेमेस्टर/ वर्ष में प्रवेश दिया जाएगा। 

यूजीसी ने अपने दिशानिर्देश में क्या कहा है 

यूजीसी ने अपने दिशानिर्देश में कहा है कि सितम्बर अंत तक आयोजित होने वाली परीक्षाओं का आयोजन ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों ही माध्यमों से किया जा सकेगा। इसके साथ ही परीक्षाओं को तात्कालिक परिस्थितियों के हिसाब से मिश्रित रूप से भी आयोजित किया जा सकेगा। मसलन, कुछ परीक्षाएं ऑनलाइन तो कुछ ऑफलाइन माध्यम से भी आयोजित की जा सकेंगी। यूजीसी ने अपने दिशानिर्देश में यह भी कहा है कि जो छात्र किसी कारण परीक्षा नहीं दे पाते हैं, उनके लिए बाद में तात्कालिक परिस्थितियों के हिसाब से परीक्षाओं का आयोजन होगा। तो वहीं बैकलॉग वाले छात्रों की परीक्षाओं का भी आयोजन तात्कालिक परिस्थितियों के हिसाब से किया जाएगा।

अंतिम वर्ष के छात्रों को छोड़कर यूजीसी ने सभी सेमेस्टर / वर्ष के छात्रों की परीक्षाओं के आयोजन के लिए यूजीसी द्वारा 29 अप्रैल को जारी दिशानिर्देश का ही पालन करने के लिए कहा है। इन छात्रों को आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर अगले वर्ष / सेमेस्टर में प्रवेश दिया जाएगा। 

शिक्षा व्यवस्था में छात्रों का शैक्षिक मूल्यांकन ज़रूरी 

यूजीसी ने परीक्षाओं को लेकर जारी किए अपने नए दिशानिर्देश में कहा है कि शिक्षा व्यवस्था में छात्रों का शैक्षणिक मूल्यांकन सबसे ज़रूरी हिस्सा होता है। यह किसी मील के पत्थर से कम नहीं होता। यूजीसी ने कहा है कि भारत में कोरोना के प्रकोप को दृष्टिगत रखते हुए छात्रों को स्वास्थ्य, सुरक्षा और उनको समान अवसर प्रदान करना भी ज़रूरी है। तो वहीं दूसरी तरफ वैश्विक स्तर पर छात्रों की शैक्षणिक विश्वसनीयता, करियर के अवसरों और वैश्विक विकास को बनाए रखना भी अत्यन्त आवश्यक है। यूजीसी ने कहा है कि परीक्षाएं छात्रों में आत्मविश्वास जागृत करती हैं, ऐसे में छात्रों की वैश्विक स्वीकार्यता के लिए परीक्षाओं का आयोजन आवश्यक रूप से किया जाना चाहिए।