नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गैंगस्टर विकास दुबे मुठभेड़ कांड और पुलिसकर्मियों की हत्या की घटनाओं की जांच के लिए गठित जांच आयोग के दो सदस्यों को बदलने के लिए दायर याचिका को खारिज कर दिया। इस याचिका में आयोग के सदस्य और सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश शशिकांत अग्रवाल और पूर्व पुलिस महानिदेशक केएल गुप्ता को हटाने का अनुरोध किया गया था। यह याचिका घनश्याम उपाध्याय और अनूप प्रकाश अवस्थी ने डाली थी।

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने गुप्ता द्वारा दिए गए इंटरव्यू से संबंधित मीडिया की खबरों का अवलोकन किया और कहा कि इससे जांच पर असर नहीं पड़ेगा क्योंकि सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश इस आयोग का हिस्सा हैं। दुबे के कथित मुठभेड़ में मारे जाने के बाद पूर्व पुलिस महानिदेशक के एल गुप्ता ने एक टीवी डिबेट में कहा था कि पुलिस पर शक करना सही नहीं है।

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 22 जुलाई को अपने आदेश में कानपुर में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या और इसके बाद कथित मुठभेड़ में विकास दुबे और उसके पांच सहयोगियों के मारे जाने की घटनाओं की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश डॉ. बलबीर सिंह चौहान की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच आयोग के गठन के मसौदे को मंजूरी दी थी। न्यायालय ने कहा था कि जांच आयोग एक सप्ताह के भीतर अपना काम शुरू करके इसे दो महीने में पूरा करेगा।

कानपुर के चौबेपुर थाना के अंतर्गत बिकरू गांव में तीन जुलाई को आधी रात के बाद विकास दुबे को गिरफ्तार करने गई पुलिस की टुकड़ी पर घात लगाकर किए गए हमले में पुलिस उपाधीक्षक देवेन्द्र मिश्रा सहित आठ पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे।

विकास दुबे 10 जुलाई को कथित मुठभेड़ में उस समय मारा गया, जब उज्जैन से उसे लेकर आ रही पुलिस की गाड़ी कानपुर के निकट भौती गांव इलाके में कथित तौर पर दुर्घटनाग्रस्त हो गई और मौके का फायदा उठाकर दुबे ने भागने का प्रयास किया। दुबे के मारे जाने से पहले अलग-अलग कथित मुठभेड़ों में उसके पांच कथित सहयोगी भी मारे गए थे।