पोर्ट ब्लेयर। भारत का केंद्रशासित प्रदेश अंडमान एंड निकोबार द्वीप समूह पर निवासरत एक संकटग्रस्त आदिवासी कबीले में कोरोना वायरस संक्रमण पाए जाने की पुष्टि हुई है। रिपोर्ट्स के मुताबिक काबिले के 10 लोगों की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। यह कबीला ‘पर्टीकुलर्ली वल्नरेबल ट्राइबल ग्रुप’ (PVTG) में आता है। इस ग्रुप के लोगों में कोरोना वायरस संक्रमण की सूचना मिलने के बाद अब केंद्र सरकार के लिए दूरस्थ द्वीपसमूह में जनजाति के लोगों की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ गई है।

न्यूज़ एजेंसी एफपी ने अधिकारियों के हवाले से बताया है कि इन 10 संक्रमित लोगों में से 6 लोग रिकवर कर चुके हैं और उन्हें होम क्वारंटाइन में रखा गया है वहीं 4 अन्य का इलाज स्थानीय अस्पताल में किया जा रहा है। गौरतलब है कि विलुप्त होने के कगार पर पहुंचे इस ग्रेट अंडमानी जनजाति कबीले के मात्र 53 सदस्य ही दुनिया में जीवित हैं। ऐसे में कोरोना संकट के इस दौर में भारत सरकार के लिए इनके अस्तित्व को बचाए रखना चुनौतीपूर्ण हो गया है।

कैसे पहुंचा कोरोना?

इस दुर्लभ प्रजाति तक कोरोना वायरस संक्रमण कैसे पहुंचा इस बात की अबतक कोई ठोस जानकारी नहीं मिल रही है। हालांकि न्यूज़ वेबसाइट बीबीसी ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि स्वास्थ्य और इमरजेंसी अधिकारियों का एक दल, खतरनाक समुद्री लहरों का सामना करते हुए पिछले हफ्ते स्ट्रेट आइलैंड (कबीले का निवास) पर पहुंच गया था। जिस दौरान यह कबीला ने उनकी काफी सहयोग भी की थी। वहीं कबीले के कुछ लोग पोर्ट ब्लेयर भी जाते रहते हैं। आशंका है कि इसी दौरान कबीले का कोई सदस्य संक्रमित हुआ हो। 

क्या है पर्टीकुलर्ली वल्नरेबल ट्राइबल ग्रुप ?

पर्टीकुलर्ली वल्नरेबल ट्राइबल ग्रुप (PVTG) में ऐसे आदिवासियों को रखा गया है जिनकी संख्या बेहद कम होती है। वह बाकी दुनिया से बिल्कुल अलग रहते हैं। इनकी न तो कोई लिखित भाषा होती है और न ही आम इंसान के जैसा रहन-सहन। पूरी तरह से प्रकृति पर आधारित इन समूहों का विकास दर भी बेहद कम होता है। अंडमान निकोबार द्वीप समूह में इस प्रकार के पांच आदिवासी कबीला निवासरत है।

बाकी जनजातियां पर भी मंडराया खतरा

ग्रेट अंडमानी जनजाति कबीले में कोरोना वायरस संक्रमण फैलने के बाद अब अन्य जनजातियों पर भी संक्रमण का खतरा मंडराने लगा है। रिपोर्ट के मुताबिक अब स्वास्थ्य कर्मियों की एक टीम ओंग जनजाति के 115 सदस्यों का कोरोना जांच करने जाएगी। इसके अलावा शोंपेन जनजाति के लोगों की भी टेस्टिंग की जाएगी। अंडमान में कोविड से लड़ने के लिए दो अस्पताल, तीन स्वास्थ्य केंद्र और दस केयर सेंटर हैं।