अपने नेताओं के बोल और उनसे उपजे विवारों से तंग आ कर मध्य प्रदेश बीजेपी ने पचमढ़ी में तीन दिनों का एक प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया। इस शिविर में सोशल मीडिया से लेकर वास्तविकता में धरातल पर कार्यकर्ताओं के साथ संपर्क और कार्य के ढंग पर बीजेपी विधायकों व सांसदों को सीख दी गई। बाकी तमाम सत्र तो महत्वपूर्ण थे ही लेकिन सबसे ज्यादा उत्सुकता का सत्र था उद्घाटन सत्र जिसे केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने संबोधित किया। सभी की निगाहें इस बात पर टिकी थी कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह क्या और कैसा संदेश देते हैं।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि बीजेपी के मंत्री, विधायकों और सांसदों को सोच समझ कर बोलना चाहिए। बेवजह और विवादित बयान नहीं देने चाहिए। गलती एक बार गलती होती है, लेकिन ध्यान रहे कि यह दोबारा नहीं होनी चाहिए। पूरे शिविर का निचोड़ यही एक हिदायत है। इसे मंत्री विजय शाह मामले से सीधा-सीधा जोड़ कर देखा गया। पार्टी ने मंत्री विजय शाह का साथ दिया है और उन्हें अकेला नहीं छोड़ा है। मगर साफ कर दिया गया है कि ऐसी सहायता बार-बार संभव नहीं होगी।
इस सत्र के बाद और पहले विधायकों, सांसदों की अलग-अलग प्रतिक्रियाएं मिली है। इन सबमें सबसे ज्यादा रोचक प्रतिक्रिया पिछोर से बीजेपी विधायक प्रीतम लोधी की रही। बोलने पर संयम पर विधायक प्रीतम लोधी ने कहा कि जुबान पर लगाम देना चाहिए, खाने के लिए भी लगाम देना चाहिए, कभी कभी ज्यादा खा लिया जाता है न… तो उसपर भी लगाम देना चाहिए नहीं तो पेट बढ़ जाएगा, मेरा भी तो बढ़ रहा है थोड़ा थोड़ा…अगर जुबान पर लगाम देंगे तो पेट भी कम होगा और बोलने की व्यवस्था भी कम होगी… दोनों चीज होगी…।
इस दिलचस्प कमेंट के कई अर्थ निकलते हैं। जैसे जब पार्टी अपने नेताओं से कहती है कि कार्यकर्ताओं के संपर्क में रहो तो जब नेता क्षेत्र में बाहर निकलेंगे तो फिजिकल एक्टिविटी होगी और उनका पेट कम होगा। ‘खाने’ को दूसरे संदर्भों में भी लिया जाता है। विधायक प्रीतम लोधी अपने बेबाक काम और बोले के कारण चर्चा में रहते हैं। अतीत में पार्टी ने उन्हें भी संयमित रहने की सलाहें दी है। उन्होंने जब ऐसी प्रतिक्रिया दी है तो यह इशारा दूर तक जाता है। इसकी संभावना कम है कि उन्होंने चलते-चलते कोई बात कह दी है।
बीजेपी के आंगन में ज्योतिरादित्य सिंधिया का न होना
14 से 16 जून तक पचमढ़ी में बीजेपी का सबसे बड़ा जमावड़ा हुआ। यहां कुछ अतिथियों पर सभी की निगाहें टिकी थीं। सबसे ज्यादा ध्यान विवादित बयान देने वाले मंत्री विजय शाह पर था। वे कुछ समय में सार्वजनिक कार्यक्रमों यहां तक कि कैबिनेट बैठक से भी दूर रहे। इस बीच उन्होंने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के साथ एक बार मंच शेयर किया लेकिन उनकी बॉडी लैंग्वेज एकदम सधी हुई है। वे कुछ भी कहने से बच रहे हैं। मंत्री विजय शाह पचमढ़ी पहुंचे जरूर लेकिन मीडिया और सवालों से बचते रहे। प्रश्न पूछ रहे एक मीडिया प्रतिनिधि का हाथ झटकने जैसी खबरें भी चर्चा में रही।
दूसरी तरफ केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का न होना चर्चा में रहा। जब पचमढ़ी शिविर में छोटे-बड़े, प्रादेशिक-राष्ट्रीय स्तर के सब नेता थे तो वहां मध्य प्रदेश के केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया क्यों नहीं हैं? जब यह सवाल उठा तो कयास लगाए गए कि सिंधिया किसी राष्ट्रीय नेता के साथ शिविर में पहुंच सकते हैं। अंत तक ज्योतिरादित्य सिंधिया के आने पर निगाहें लगी रही लेकिन वे नहीं आए। जब अनौचपारिक रूप से उनके समर्थक मंत्रियों से पूछा गया तो जवाब मिला कि वे वे बाहर हैं। बाद में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने बताया कि सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के अलावा 15 विधायक भी नहीं आ सके थे। संभव है कि सभी ने संगठन से अनुमति ली होगी। लेकिन बड़ा आयोजन और उसमें सिंधिया जैसे नेता की अनुपस्थित के अलग-अलग अर्थ तो निकाले जाएंगे और निकाले भी जा रहे हैं।
सीताशरण के खिलाफ थाने पहुंचे सीतासरन
नर्मदापुरम के बीजेपी विधायक डॉ. सीतासरन शर्मा एक बार फिर चर्चा में हैं। इसबार उन्होंने अपने हमनाम आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता और आरटीआई एक्टिविस्ट सीताशरण पाण्डेय के खिलाफ वैधानिक कार्रवाई के लिए कदम उठाया है। बीजेपी विधायक और विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष सीतासरन शर्मा एसपी के पास शिकायत लेकर पहुंचे कि आरटीआई एक्टिविस्ट सीताशरण पाण्डेय मेरी हर कहीं शिकायत कर रहे और अखबार उसे छाप रहे। इससे मेरी छवि खराब हो रही है। पुलिस संबंधित पर वैधानिक कार्रवाई करें।
विधायक डॉ. सीतासरन शर्मा पुलिस की कार्यप्रणाली पर विधानसभा में भी सवाल उठा चुके हैं। सिस्टम से विधायक डॉ. सीतासरन शर्मा की नाराजगी को देखते हुए इस बार पुलिस अधीक्षक डॉ. गुरुचरण सिंह ने विधायक की शिकायत पर तुरंत एक्शन भी लिया उन्होंने आरटीआई एक्टिविस्ट सीताशरण पाण्डेय को बयान के लिए तलब कर लिया। आरटीआई एक्टिविस्ट सीतशरण पाण्डेय नोटिस मिलते ही बयान के लिए तुरंत पहुंच गए। दो सीताशरण के बीच पिछले कुछ समय से जारी विवाद में आया यह नया मोड़ नर्मदापुरम में चर्चा और जिज्ञासा का विषय बना हुआ है।
प्रक्रिया बदली, सृजन से बदलेगी कांग्रेस की सूरत
मध्य प्रदेश कांग्रेस में बदलाव की बयार है। संगठन को खड़ा करने के लिए सृजन अभियान शुरू किया गया है। 10 से 30 जून तक चलने वाले इस अभियान के तहत तय केंद्रीय पर्यवेक्षकों ने प्रदेश भर में मंडलम, सेक्टर के कार्यकर्ताओं से वन टू वन संवाद शुरू कर दिया है। अभियान के तहत प्रदेश प्रभारी हरीश चौधरी अगले पांच दिन तक प्रदेश के अलग-अलग जिलों का दौरा करेंगे। इस पूरी कवायद का उद्देश्य यही है कि संगठन को मैदानी स्तर पर मजबूत किया जाए ताकि सत्ता की राह आसान हो सके।
जिलाध्यक्ष का चयन इस लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है। पार्टी नेतृत्व ने तय किया है कि ऐसे लोगों के हाथ में जिले की कमान दी जाए कि कर्मठ, ईमानदार और जमीन से जुड़ा हो। एमपी कांग्रेस ने लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और पार्टी के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी के वीडियो के जरिए अपना लक्ष्य भी बताया है। राहुल गांधी ने कहा है कि नए जिलाध्यक्ष पुराने जिलाध्यक्षों जैसे नहीं होंगे। वीडियो में उन्होंने तीन मानदंड बताए हैं। नया जिलाध्यक्ष चुनते समय देखा जाएगा कि उसके क्षेत्र में कांग्रेस के वोट बढ़े या नहीं, जिले में कांग्रेस की विचारधारा के समर्थन तथा दलित, आदिवासी, महिला, सामान्य वर्ग के गरीबों, अल्पसंख्यकों पर अत्याचार के मामले में उस नेता ने क्या स्टैंड लिया तथा कांग्रेस वहां खड़ी मिली और तीसरा उस नेता का यूथ से कितना कनेक्ट है।
ऐसी प्रक्रिया से गुजरने के साथ ही जिला अध्यक्ष चुनाव में जातीय समीकरण और लैंगिंक समीकरणों को भी देखा जाएगा। ऐसा हुआ तो जिलों में महिला अध्यक्ष दिखाई देंगी।