मध्यप्रदेश की राजनीति में बयानों से दुधारी काम हो रहा है। एक तरफ इंदौर की विधायक के बेटे और पूर्व सांसद प्रज्ञा ठाकुर के भड़काऊ बयानों ने काम किया तो दूसरी मंत्री कैलाश विजयवर्गीय और विजय शाह के बयानों ने उलझाने का काम किया। चाहें भड़काने का काम हो या उलझाने का, बात राजनीति चमकाने की है सो बयान कैसा भी हो, सब चलता है की तर्ज पर काम हो रहा है।
कैलाश विजयवर्गीय बीजेपी के कद्दावर नेता हैं। उन्हें पता है कि कब क्या बयान देना है। शाजापुर में जब उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर तंज कसा तो वे जानते थे कि इसका असर कितना होगा। कैलाश विजयवर्गीय ने कहा था कि आज का विपक्ष अपनी ही बहन को चौराहे पर चुंबन कर लेता है, यह भारत की नहीं बल्कि विदेशी संस्कृति है। इस बयान को लेकर कांग्रेस ने जमकर आपत्ति जताई और विरोध प्रदर्शन किए।
कैलाश विजयवर्गीय के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए मंत्री कुंवर विजय शाह ने एक बार फिर बयान से विवाद खड़ा कर दिया। खंडवा में एक कार्यक्रम में उनसें कैलाश विजयवर्गीय बयान का समर्थन करते मंत्री विजय शाह ने मंच पर बैठी खंडवा विधायक कंचन तनवे की तरफ इशारा करते हुए कहा कि ये मेरी सगी बहन भी हैं, तो क्या मैं सार्वजनिक रूप से चुंबन लूंगा। यह हमारी भारतीय संस्कृति की परंपरा नहीं है।
विजय शाह समर्थन करते-करते महिला विधायक के लिए असहज स्थितियां पैदा कर गए। एक तरफ ऐसे बयान राजनीतिक हिलौर उठा रहे थे तो इंदौर 4 विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक मालिनी गौड़ के बेटे एकलव्य सिंह गौड़ ने शीतलामाता कपड़ा बाजार संचालकों की बंद कमरा बैठक में एक फरमान सुना दिया। एकलव्य सिंह गौड़ ने कहा कि सभी व्यापारी मुस्लिम कर्मचारियों को काम से निकालें। अन्यथा वे अपनी तरह से निपटेंगे। जाहिर है, इसका भी विरोध होना था। कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह के साथ बाजार के हिंदु व्यापारियों ने भी इस फरमान का विरोध किया। बीजेपी ने इसे निजी बयान बता कर पल्ला झाड़ लिया लेकिन बयान आग तो लगा ही चुका है। इससे उठे धुएं से भाईचारे का दम घुटना शुरू हो गया है।
भोपाल की पूर्व सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर को बम विस्फोट के आरोपों से बरी होने के बाद अधिक कटुता के साथ बयान दे रही हैं। उन्होंने कहा, "विधर्मियों के हाथ की बनी कोई चीज नहीं खाना है। मंदिर के आसपास ऐसे लोग मिलें तो ठुकाई करो। न उनको बेचने देंगे, न आने देंगे। अपने घर में किसी भी विधर्मी को न आने दें, चाहें वो लाइट फिटिंग, नल फिटिंग या सफाई वाला क्यों न हो। विधर्मियों को सबक सिखाने के लिए घर में हथियार रखो।"
बीते सप्ताह राजनीतिक ही समाज के ताने-बाने को तोड़ने वाले बयानों का बोलबाला रहा और इससे भड़काने, उलझाने वाले इन बयानों से राजनीति चमकाने का काम दूसरे नेता भी कर रहे हैं। ऐसे तोड़ने वाले बयान को क्या जिम्मेदारों की ओर से माकूल जवाब मिल पा रहा है? अभी तो नहीं।
मंत्री जी रहेंगे कि जाएंगे…
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति के बाद बीजेपी नेताओं में निगम मंडलों की राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर उत्सुकता थी। हाशिये पर पड़े नेता उम्मीद में थे कि उनकी किस्मत चमकेगी और पद मिल ही जाएगा। उनकी उम्मीद तो जाने कब पूरी होगी लेकिन मंत्रिमंडल विस्तार की सुगबुगाहट ने नए कयास खड़े कर दिए।
बातें शुरू हुईं तो कामकाज का हिसाब सामने आने लगा। कहा जाने लगा कि अपेक्षाओं पर खरे नहीं उतर रहे मंत्रियों की छुट्टी तय है। इन नामों में कद्दावर मंत्री कैलाश विजयवर्गीय और प्रहलाद पटेल के नाम भी आश्चर्यजनक रूप से शामिल हैं। इतना ही नहीं कुख्यात ड्रग तस्कर मछली के साथ सम्बंधों के चलते भोपाल के एक मंत्री की कुर्सी पर भी खतरा बताया जा रहा है। जब कटने वाले नामों पर अटकलें हैं तो नए मंत्रियों के नामों पर भी कयास हैं।
हर दिन नाम जोड़े और काटे जा रहे हैं। कौन मंत्री बनेगा इस बात से ज्यादा उत्सुकता इस बात की है कि कौन हटाया जा रहा है। भोपाल से एक मंत्री को हटाए जाने की खबरों के बीच दो दावेदार नेताओं के समर्थक मोर्चेबंदी में जुट गए हैं। जबकि कैलाश विजयवर्गीय को हटाने की स्थिति में उनके साथी विधायक रमेश मेंदोला का नाम फिर से चर्चा में हैं। हालांकि, फिलहाल मंत्रिमंडल विस्तार की कोई संभावना दिखाई नहीं दे रही है लेकिन ये वे बादल हैं जो जाने कब बरस जाएं, इसलिए कयासों का बाजार गर्म है और इसी में सुख पाया जा रहा है।
एआई से बदनामी अच्छी जिसने छिपाई हकीकत
मंत्रिपरिषद विस्तार की अटकलों में जो सबसे ज्यादा प्रभावित बताया जा रहा है वह मंत्री भोपाल का है। कयास हैं कि अपराधियों को संरक्षण देने के आरोप में भोपाल से दो मंत्रियों विश्वास सारंग और कृष्णा गौर में से एक की कुर्सी जा सकती है। दोनों मंत्रियों ने अपने पैर जमाए रखने के सारे जतन कर लिए है। ऐसे में एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) एक राजनीतिक सुविधा ले कर आया।
भोपाल में कुछ तस्वीरें वायरल हुई। इसमें मंत्री कृष्णा गौर के साथ कुख्यात ड्रग तस्कर का गुर्गा दिखाई दे रहा है। ऐसा ही एक फोटो बीजेपी विधायक रामेश्वर शर्मा का भी जारी हुआ। बताया गया कि ये फोटो फेक हैं। इन्हें एआई से बनाया गया है। इन तस्वीरों पर आपत्ति जताते हुए नेताओं की शिकायत पर क्राइम ब्रांच ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
जबकि कुछ दिनों पहले मंत्री विश्वास सारंग के साथ कुख्यात तस्कीर मछली के फोटो वायरल हुए थे। अब घालमेल हो गया है कि कौन सी फोटो असली है और कौन सी नकली? अब असली फोटो को भी एआई से बना मान कर संदेह किया जाएगा। नेताओं के लिए तो यह अच्छा ही है। पुलिस जांच कर रही है लेकिन अब तक पता नहीं चला है कि आखिर इसके पीछे कौन लोग हैं? कांग्रेस नेता पीसी शर्मा तो कह चुके हैं कि वायरल करने के लिए खुद बीजेपी के नेता ऐसे फोटो देते हैं। क्या बीजेपी में ही कोई है जो अपने नेताओं को बदनाम करवा रहा है।
इस दिवाली नंबर बढ़ाने वाले काम करेंगे कांग्रेस जिला अध्यक्ष
संगठन सृजन के तहत चुने गए कांग्रेस जिलाध्यक्षों के सामने अब खुद को सिद्ध करने की चुनौती है। वे जानते हैं कि संगठन में साथियों ने उनकी नियुक्ति का विरोध किया है और विरोध की ये खबरें दिल्ली तक पहुंची है। इसके बाद भी लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने जिलाध्यक्षों पर भरोसा जता कर उन्हें ही अपनी कार्यकारिणी बनाने और ब्लॉक अध्यक्ष चुनने की स्वतंत्रता दी है।
खुद की नियुक्ति और टीम के गठन के साथ अब उन्हें संगठन की अपेक्षाओं पर खरा उतर कर अपनी नियुक्ति को सही सिद्ध करना है। यही उनकी पहली कसौटी है। खुद को साबित करने की चुनौती नियुक्ति के तुरंत बाद आ गई थी जब पता चला था कि 2 अक्टूबर से आयोजित 10 दिनों के प्रशिक्षण सत्र में स्वयं राहुल गांधी मुखातिब होंगे और उनसे काम का लेखाजोखा लेंगे। लेकिन त्यौहार को देखते हुए यह तारीख आगे बढ़ गई है। ताजा जानकारी के अनुसार संगठन सृजन अभियान में 71 जिलाध्यक्षों का चुनाव कर लेने के बाद अब कांग्रेस जिलाध्यक्षों का प्रशिक्षण 2 से 12 नवंबर तक पचमढ़ी में होगा। इस प्रशिक्षण शिविर में 9 नवंबर को राहुल गांधी आएंगे। वे जिलाध्यक्षों से विभिन्न सवालों पर जवाब चाहेंगे जिनसे समझा जा सकेगा कि नए अध्यक्ष मैदान में कैसा काम कर रहे हैं।
यानी नए अध्यक्षों के लिए परीक्षा की घड़ी आ पहुंची हैं। वे त्यौहारी माह में दिवाली मिलन के साथ जनसंपर्क और पार्टी को मैदानी स्तर पर मजबूत करने का काम करेंगे ताकि राहुल गांधी की क्लास में नंबर बढ़ाए जा सकें।