कानपुर मुठभेड़ में एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। खबर है कि गैंगस्टर विकास दुबे के घर पहुंचने से पहले ही पूरे गांव की बिजली काट दी गई थी। बिजली काटने का आदेश भी पुलिस ने ही दिया था। बताया जा रहा है कि गुरुवार देर रात पुलिस की टीम के विकास दुबे के गांव पहुंचने से पहले किसी पुलिसवाले ने सबस्टेशन में फोन लगाया और पूरे गांव की बिजली काट देने का फरमान सुनाया था। जिस वजह से बिकरू गांव में पहली बार पहुंची पुलिस की टीम को अंधेरे में लोकेशन का सही सही अंदाज़ा नहीं लग पाया। और मुठभेड़ के दौरान पुलिस की टीम को निशाना बनाने में मुश्किल हुई। फिलहाल पुलिस ने एसडीओ और एक कर्मचारी को अपनी हिरासत में लेकर तफ्तीश शुरू कर दी है। लेकिन एक रिटायर्ड आईएएस सूर्य प्रताप सिंह के ट्वीट को अगर सही मानें तो मामले के तार कानून मंत्री तक जा रहे हैं.. उन्होंने अपने ट्वीट में आरोप लगाया है- "ब्रजेश पाठक जी -ज़रा संभल के . एफआईआर हो जाएगी"

पुलिसकर्मी को निलंबित किया गया है

तफ्तीश में कुछ चौंकाने वाले नामों के भी उजागर होने की संभावना जताई जा रही है। एसडीओ व एक अन्य कर्मचारी को हिरासत में तो ले लिया गया है, लेकिन दुबे के मददगारों पर सवालिया निशान जरूर हैं। कानपुर मुठभेड़ में गैंगस्टर विकास दुबे और कानपुर पुलिस के विभागीय कर्मचारियों की संलिप्तता को एक बड़ा कारण माना जा रहा है। चौबेपुर थाने के एसओ विनय तिवारी को पहले ही संदिग्ध मानते हुए निलंबित कर दिया गया है। कानपुर मुठभेड़ के बाद तफ्तीश में जुटी पुलिस को विकास दुबे के कॉल डिटेल को खंगालने पर यह जानकारी मिली थी कि कुछ पुलिस कर्मियों ने कुख्यात अपराधी को पुलिस की टीम के उसके गांव पहुंचने की पहली ही जानकारी दे दी थी। जिससे उसे सावधान होने और तैयार होने का पूरा समय मिल गया।

क्या है पूरा मामला? 

शुक्रवार को हुए कानपुर मुठभेड़ की पटकथा उस समय शुरू हो चुकी थी जब गुरुवार शाम राहुल तिवारी नाम के शख्स ने कानपुर के चौबेपुर थाने में गैंगस्टर विकास दुबे के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। उसने कहा था कि विकास दुबे ने जबरन उसे और उसके ससुर का अपहरण कर हिंसक बर्ताव किया है। जिसके बाद दुबे ने उनकी करोड़ों की सम्पत्ति के काग़ज़ात पर ज़बरदस्ती हस्ताक्षर करवा कर, सम्पत्ति अपने नाम कर ली। दरअसल कुख्यात गैंगस्टर विकास दुबे लंबे अरसे से लोगों की ज़मीन जबरन हड़पने का काम करता आ रहा है। काफी समय से वो इसी धंधे में लगा हुआ है। 

गुरुवार को जब राहुल तिवारी ने दुबे के खिलाफ थाने में शिकायत की। तब पुलिस ने गुरुवार देर रात थाने की एक टीम दबिश डालने के इरादे से कानपुर से 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित उसके गांव बिकरू पहुंच गई। लेकिन दुबे को पुलिस के आने की भनक पहले ही लग चुकी थी। पुलिस थाने से ही किसी ने उसे इस बात की जानकारी दे दी थी कि एक टीम उसको गिरफ्तार करने उसके घर पहुंच रही है। उसने पुलिस को रोकने के लिए गांव के प्रवेश पर जेसीबी खड़ा करवा  दी ताकि पुलिस वाले अपनी गाड़ी से उतर कर पैदल ही उसके घर पहुंचे, और पुलिसवालों के पास भागने का कोई अवसर न रहे।  उधर पूरे गांव की बिजली पहले ही काटी जा चुकी थी। उसने मकान की छत पर पहले ही हथियारों से लैस अपने गुर्गों को तैनात कर रखा था। पुलिस की टीम जैसे ही उसके मकान पर पहुंची उसके गुर्गों ने टीम पर हमला कर दिया। पुलिस वालों को इस प्रतिक्रिया की ज़रा भी भनक नहीं थी। लिहाज़ा वे जवाबी कार्रवाई करने में असमर्थ थे। अंधेरा होने की वजह से निशाना बनाने में भी पुलिस वालों को कठिनाई हो रही थी। तकरीबन एक घंटे चली इस मुठभेड़ में 8 पुलिस कर्मी शहीद हो गए। गैंगस्टर दुबे उसके बाद से ही फरार चल रहा है। शनिवार दोपहर कानपुर प्रशासन ने उसके मकान को बुलडोजर से गिरा दिया है।  पुलिस की अलग अलग टीमें उसकी खोज में लगी हुई हैं।