भोपाल।हर साल अक्टूबर महीने को स्तन कैंसर जागरुकता माह के रुप में मनाया जाता है।स्तन कैंसर दुनियाभर में महिलाओं को होने वाली खतरनाक बीमारियों में से एक माना जाता है। जो आधुनिक होती दिनचर्या की वजह से जानलेवा बीमारी बनती जा रही है। इस बीमारी का देर से पता चलना महिलाओं की मौत का कारण बनता है। विश्व में हर साल स्तन कैंसर के लगभग एक करोड़ 38 लाख मामले सामने आते हैं, 4,58,000 मौतें होती हैं। स्तन कैंसर विकसित और विकासशील, दोनों तरह के देशों में महिलाओं को अपनी चपेट में ले रहा है। भारत में पिछले साल 1.65 लाख लोगों की मौत स्तन कैंसर से हुई है।

कम उम्र की महिलाओं को भी स्तन कैंसर का खतरा

स्तन कैंसर के बारे में इंडियन कैंसर सोसायटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि 28 भारतीय महिलाओं में से एक महिला को स्तन कैंसर होने का खतरा रहता है। भारत में स्तन कैंसर होने की औसत उम्र कम होती जा रही है। अब महज 30-50 साल की उम्र में स्तन कैंसर की बीमारी हो रही है। जबकि विकसित देशों में स्तन कैंसर होने की औसत उम्र 50-60 साल है, इस दौरान सबसे ज्यादा खतरा रहता है। महिलाओं को ही नहीं बल्कि पुरुषों को भी स्तन कैंसर अपनी चपेट में ले रहा है।

अधिक उम्र में शादी, बच्चों के जन्म में देरी भी है वजह

महिलाओं में स्तन कैंसर के कई कारण हैं। इनमें से प्रमुख कारण हैं देर से शादी करना, गर्भनिरोधक गोलियों का उपयोग, देर से बच्चों का जन्म, बढ़ती उम्र, हार्मोनल थैरेपी में उपयोग होने वाली मेडिसिन, अनियमित दिनचर्या, शराब और सिगरेट का उपयोग करने से यह कैंसर हो सकता है। स्तन कैंसर का कारण आनुवांशिक भी हो सकता है। देश में केवल 5-10 फीसदी महिलाओं में स्तन कैंसर अनुवाशिंक पाया जाता है। WHO की रिपोर्ट के अनुसार शराब, सिगरेट के अत्यधिक सेवन से महिलाओं में स्तन कैंसर का खतरा 8% बढ़ाता है।

स्तन कैंसर की जल्द पहचान, बचाएगी मरीज की जान

डाक्टरों का कहना है कि स्तन कैंसर की 4 स्टेज होती है। जितनी जल्दी कैंसर की पहचान हो जाए, इलाज उतना आसान होगा। स्तन कैंसर की शुरुआती स्टेज में मरीज के 80 प्रतिशत तक ठीक होने की संभावना होती है। जबकि कैंसर की दूसरी स्टेज में यह कम होकर 60 से 70 प्रतिशत तक पहुंच जाती है। वहीं किसी भी कैंसर तरह स्तन कैंसर का इलाज कठिन हो जाता है।

 

स्तन में किसी भी तरह के बदलाव को नजरअंदाज न करें

स्तन कैंसर के शुरुआती लक्षणों की सही समय पर पहचान होने से इसका इलाज आसान हो जाता है। इंडियन कैंसर सोसायटी का कहना है कि स्तन में गांठ, निप्पल के आकार में किसी भी तरह का बदलाव, स्तन की त्वचा का रंग बदलना,  स्तन का कड़ा होना, निप्पल से किसी भी तरह का रिसाव होना स्तन कैंसर का कारण बन सकता है। स्तन में किसी भी तरह के बदलाव को नजर अंदाज नहीं करना चाहिए।

हर गठान नहीं होती कैंसर, फिर भी गठान का रखें ध्यान

स्तन कैंसर का एक लक्षण अनियमित गठान भी होता है। अगर किसी को स्तन में गठान के साथ दर्द, अंडर आर्मस नीचे भी गठान है तो उसकी जांच कराना चाहिए। डाक्टरों का कहना है कि स्तन में होने वाली हर गठान कैंसर नहीं होती है। लेकिन इसकी जांच आवश्यक होती है। यदि फर्स्ट स्टेज में कैंसर की पहचान हो जाए तो मरीज 80 प्रतिशत तक ठीक हो जाता है। आमतौर पर 40 की उम्र के बाद इसकी आशंका बढ़ जाती है। इसके अलावा फैमिली हिस्ट्री है तो भी ब्रेस्ट कैंसर हो सकता है। स्तन कैंसर के शुरुआत में लक्षण दिखते नहीं है। लेकिन स्वयं अपनी जांच और मैमोग्राम के जरिए इसका पता लगाया जा सकता है।

ज्यादा वजन, गर्भनिरोधक दवा के उपयोग से खतरा

स्तन कैंसर से बचने के लिए वेट कंट्रोल करना जरूरी है, क्योंकि मोटापा ब्रेस्ट कैंसर की वजह बन सकता है। मेनोपॉज के बाद महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर होने का खतरा बहुत ज्यादा बढ़ने लगता है। स्तनपान नहीं कराने से स्तन कैंसर का खतरा होता है। खानपान का ध्यान रखना जरूरी है। तला हुआ, प्रोसेस्ड फूड, फास्ट फूड स्तन कैंसर का खतरा बढ़ाते हैं। जो महिलाएं लंबे वक्त तक गर्भनिरोधक दवाओं का उपयोग करती हैं, उनमें इसका खतरा 50 फीसदी तक बढ़ जाता है।

कैसे करें स्तन कैंसर से बचाव

स्तन कैंसर से बचने के लिए वेट कंट्रोल करना जरूरी है। इसके लिए रोजाना 45 मिनट तक एक्सरसाइज करें। स्मोकिंग और अल्कोहल से दूर रहें। प्रोटीन और फाइबर युक्त भोजन करें। दालों को अपने खाने में शामिल करें। खाने में सभी रंगों के फलों और सब्जियों को शामिल करें। अदरक, पपीता, गाजर, संतरा, ग्रीन टी, ब्रोकली, मशरुम, प्याज, लहसुन में पाए जाने वाले माइक्रो न्यूट्रियंट फायदेमंद होते हैं। स्तन की जांच स्वयं करें, किसी भी तरह का परिवर्तन दर्द, गठान, रिसाव होने पर डाक्टर से सलाह लें।