रायपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने संघ और नक्सलियों की तुलना की है। उनका कहना है कि छत्तीसगढ़ में नक्सलियों और संघ के नेताओं की स्थिति एक जैसी है। छत्तीसगढ़ के नक्सली केवल गोली खाने के लिए हैं। उनपर राज दूसरे प्रदेशों में बैठे नक्सली नेताओं का चलता है, छत्तीसगढ़ की नक्सली गतिविधियां आंध्र प्रदेश और तेलंगाना से संचालित होती हैं। इसी तरह छत्तीसगढ़ में RSS के पास अपनी कोई क्षमता नहीं है, यहां पर संघ से जुड़े फैसले नागपुर से लिए जाते हैं।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि बीजेपी के पास दो मुद्दों में मास्टरी है पहला धर्मांतरण और दूसरा संप्रदायिकता का मुद्दा है। बीजेपी इन्हीं दोनों मुद्दों पर जनता को लड़ाने का काम कर रही है। मुख्यमंत्री ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि यहां विपक्ष ना तो आदिवासी, किसानों और मजदूरों के बारे में बात करता है और ना हीं व्यापार, उद्योग और अनुसूचित जनजाति के बारे में भी बात करता है।

दरअसल छत्तीसगढ़ में कवर्धा तनाव को लेकर कांग्रेस सरकार और विपक्ष में बैठी बीजेपी में आरोप प्रत्यारोप का दौर जारी है। दोनों पार्टियों के नेता एक-एक करके कई बयान दे रहे हैं।

 हाल ही में कवर्धा में फैली हिंसा को लेकर छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुइया उइके ने सीएम भूपेश बघेल को पत्र लिखा था। जिसके जवाब में मुख्यमंत्री ने RSS की तुलना नक्सलियों से कर दी। उनका कहना है कि सरकार किसी भी घटना को हल्के में नहीं लेने वाली है, कुछ लोग छोटी घटनाओं को बड़ा बनाकर पेश कर चाहते हैं। मामले के सभी जिम्मेदारों पर कार्रवाई होगी।

वहीं केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के सावरकर वाले बयान पर भी मुख्यमंत्री ने बीजेपी को आड़े हाथ लिया। राजनाथ सिंह ने कहा था कि 1910 में आजीवन कारावास की सजा काट रहे सावरकर ने ब्रिटिश सरकार के सामने दया याचिका दी थी। केंद्रीय मंत्री का दावा है कि यह सच है कि उन्होंने महात्मा गांधी के कहने पर ऐसा किया था। यह एक कैदी का अधिकार था। रक्षा मंत्री के इस बयान पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि “लो भला अब नई बात आ गई, मुझे यह बताया जाए कि महात्मा गांधी वर्धा में थे और सावरकर सेलुलर जेल में काला पानी की सजा काट रहे थे।  इन दोनों की मुलाकात कब हो गई। सावरकर माफी मांगने के बाद उम्रभर अंग्रेजों के साथ रहे। फूट डालो और शासन करो का एजेंडा अंग्रेजो का था। सावरकर ने ही सबसे पहले दो भारत की बात कही थी।