छत्तीसगढ़। छत्तीसगढ़ में नक्सल उन्मूलन की दिशा में  सुरक्षाबलों को एक बड़ी सफलता हाथ लगी है। 17 लाख रुपये की इनामी हार्डकोर महिला नक्सली कमला सोड़ी उर्फ ऊंगी उर्फ तरुणा ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है। वर्षों तक प्रतिबंधित माओवादी संगठन के लिए सक्रिय रहीं कमला ने अब हिंसा छोड़ समाज की मुख्यधारा में लौटने का निर्णय लिया है। उसका यह कदम इस बात का प्रतीक है कि भरोसा, संवाद और विकास के जरिये ही नक्सलवाद को समाप्त किया जा सकता है।

कमला सोड़ी ने गुरुवार को खैरागढ़-छुईखदान-गंडई जिले के पुलिस अधीक्षक कार्यालय में आत्मसमर्पण किया। इस दौरान राजनांदगांव रेंज के आईजी अभिषेक शांडिल्य, पुलिस अधीक्षक लक्ष्य शर्मा और अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद वहां मौजूद थे। पुलिस ने बताया कि कमला पर मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ पुलिस ने संयुक्त रूप से 17 लाख रुपयों का इनाम घोषित कर रखा था।

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कमला सोड़ी वर्ष 2011 से भाकपा (माओवादी) संगठन से जुड़ी हुई थी। वह एमएमसी (मध्य प्रदेश–महाराष्ट्र–छत्तीसगढ़) जोन प्रभारी रामदर की टीम में एक प्रमुख सदस्य के रूप में काम करती थी। पुलिस के अनुसार, वह कई नक्सली हमलों और योजनाओं में शामिल रही है और उसे संगठन की मिलिट्री विंग की हार्डकोर सदस्य माना जाता था। बढ़ती पुलिस कार्रवाई, विकास कार्यों और सुरक्षा दबाव के बीच उसने अंततः हथियार छोड़ने का फैसला किया।

कमला ने बताया कि वह छत्तीसगढ़ शासन की आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति–2025 से प्रभावित होकर समाज की मुख्यधारा में लौट रही है। पुलिस ने उसे 50,000 रुपयों की तत्काल प्रोत्साहन राशि प्रदान की है और पुनर्वास के तहत सभी सरकारी सुविधाएं देने की घोषणा की है। अधिकारियों का कहना है कि सरकार की संवाद और विकास-केंद्रित नीति के कारण नक्सलियों में आत्मसमर्पण की प्रवृत्ति बढ़ रही है।

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आईजी अभिषेक शांडिल्य ने बताया कि कमला सोड़ी मूल रूप से सुकमा जिले के कोंटा क्षेत्र की रहने वाली है और लंबे समय से नक्सली संगठन की सक्रिय सदस्य रही है। उन्होंने कहा कि लगातार चल रहे विकास कार्यों, पुलिस की सघन कार्रवाई और स्थानीय संवाद नीति के चलते नक्सलवाद कमजोर पड़ रहा है। कमला का आत्मसमर्पण इस बात का प्रमाण है कि अब नक्सली भी हिंसा छोड़ शांति और प्रगति का रास्ता अपनाना चाहते हैं।