नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें ये बताया गया है कि बीते एक साल में देश में नकली नोटों की सप्लाई में कितनी वृद्धि हुई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि वित्त वर्ष 2021-22 में नकली नोटों की संख्या काफी बढ़ गई है। केंद्रीय बैंक के मुताबिक, 500 रुपये के नकली नोटों में साल 2020-2021 में 101.9 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, जबकि 2000 रुपये के जाली नोट में 54.16 फीसदी का इजाफा हुआ है।



नकली नोटों की बेतहाशा बढ़ती संख्या परेशान करने वाली तो है ही साथ ही अर्थव्यवस्था के लिए खतरा का संकेत है। आरबीआई की यह रिपोर्ट सामने आने के बाद विपक्षी दल केंद्र की मोदी सरकार हमलावर है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक ट्वीट में लिखा है कि, 'नोटबंडी की एकमात्र दुर्भाग्यपूर्ण सफलता भारतीय अर्थव्यवस्था की यातना थी।' 





टीएमसी के राज्यसभा सांसद डेरेक ओ ब्रॉयन ने लिखा है कि, 'नमस्कार मिस्टर पीएम... नोटबंदी याद है? और कैसे ममता बनर्जी ने आपके इस कदम की आलोचना की थी? आपने कैसे राष्ट्र से वादा किया था कि नोटबंदी सभी नकली नोटों को मार्केट से खत्म कर देगी। लेकिन यह आरबीआई की हालिया रिपोर्ट है, जो नकली नोटों की संख्या में भारी वृद्धि की ओर इशारा करती है।'





RBI ने कहा कि 31 मार्च 2022 तक बैंक में जमा हुए 500 और 2000 रुपए के नोट में 87.1% नकली नोट थे। 31 मार्च 2021 तक यह आंकड़ा 85.7% था। अन्य नोटों की बात करें तो पिछले साल की तुलना में 10, 20, 200, 500 और 2000 रुपये के नकली नोटों के फ्लो में क्रमशः 16.4 प्रतिशत, 16.5 प्रतिशत, 11.7 प्रतिशत, 101.9 प्रतिशत और 54.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। जबकि 50 और 100 रुपये के नकली नोटों के प्रवाह में क्रमशः 28.7 प्रतिशत और 16.7 प्रतिशत की गिरावट आई है।



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बता दें कि साल 2016 नरेंद्र मोदी सरकार के नोटबंदी के कदम ने देश को झकझोर कर रख दिया था। करोड़ों लोगों को अपनी खुद की गाढ़ी कमाई को निकालने के लिए बैंकों के बाहर घंटों लाइन में लगना पड़ा था। अचानक हुई इस घोषणा से अफरा-तफरी का माहौल पैदा हो गया था क्योंकि लोग एक बैंक से दूसरे बैंक की ओर भाग रहे थे। नोटबंदी का ऐलान करते हुए, पीएम मोदी ने नकली नोटों को देश के लिए खतरा बताया था। लेकिन अब RBI की रिपोर्ट ने साबित कर दिया है कि नोटबंदी के बाद स्थिति सुधारने की जगह और बिगड़ी है।