नई दिल्ली। मोदी सरकार चौतरफा विरोध के बावजूद कृषि बिल को कानून की शक्ल देने पर अड़ी है तो विपक्ष भी इन विधेयकों के खिलाफ अपने तेवर लगातार और कड़े कर रहा है। पंजाब की कांग्रेस सरकार ने कृषि विधेयकों को किसान विरोधी बताते हुए इन्हें अदालत में चुनौती देने का एलान किया है। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा है कि 'खेती-किसानी पंजाब की लाइफलाइन है और वह किसानों के हितों के लिए आखिरी दम तक लड़ाई लड़ने को तैयार हैं। 

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लाखों किसान होंगे बर्बाद

सीएम अमरिंदर सिंह ने कहा कि राज्यसभा में रविवार को पारित कराए गए कृषि विधेयक राज्यों के अधिकारों का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि इन विधेयकों के कानून बन जाने से पंजाब के लाखों छोटे और मंझोले किसान पूरी तरह बर्बाद हो जाएंगे। उन्होंने इन विधेयकों को राज्यसभा में उपसभापति के द्वारा ध्वनिमत से पारित कराए जाने पर भी गंभीर सवाल खड़े किए हैं। सीएम अमरिंदर सिंह ने आरोप लगाया कि देश के करोड़ों किसानों पर गंभीर असर डालने वाले इस विधेयक पर राज्यसभा में वोटिंग इसलिए नहीं कराई गई क्योंकि एनडीए गठबंधन के दल भी एकमत नहीं थे। हम आपको बता दें कि बीजेपी के सबसे पुराने सहयोगी शिरोमणि अकाली दल ने भी इन बिलों को किसान विरोधी बताते हुए मोदी सरकार से इस्तीफा दे दिया है। फिर भी सदन में इन विधेयकों पर मत विभाजन नहीं कराया गया।

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किसानी के लिए मौत साबित होंगे ये बिल

पंजाब सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा है कि ये बिल किसानी के लिए मौत साबित होंगे। उन्होंने कहा, 'बीजेपी के द्वारा जिसे ऐतिहासिक बताया जा रहा है वह बिल किसानी के लिए मौत साबित होंगे और देश की अनाज सुरक्षा को कई गंभीर खतरा खड़ा हो जाएगा। राज्य सरकार हमेशा किसानों के लिए खड़ी है और हम केंद्र को आपका हक छीनने नहीं देंगे। किसानों के हित में जो संभव प्रयास किया जा सकता है, पंजाब सरकार वह सब करेगी।' हम आपको बता दें कि कृषि क्षेत्र से जुड़े दो विवादित विधेयक - फार्मर्स एंड प्रोड्यूस ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन) बिल और फार्मर्स (एम्पावरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑन प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विस बिल रविवार को ही राज्यसभा में पारित करा लिए गए हैं। ये बिल लोकसभा में भी पहले ही पास हो चुके हैं।