भोपाल। उपार्जन पोर्टल इस समय अपडेशन के नाम पर बंद हैं। जिसका खामियाजा प्रदेश के किसानों को उठाना पड़ रहा है। मूंग की उपज तैयार करने वाले किसान अब अपनी उपज कम दामों पर बेचने पर मजबूर हैं। जिसका नतीजा यह है कि उनके सामने अगली फसल की बुआई पर भी संकट खड़ा हो गया है। 

इस समय मूंग को समर्थन मूल्य पर खरीदा जाना था। लेकिन अपडेशन के नाम पर उपार्जन पोर्टल को बंद हुए अब एक पखवाड़ा से ज्यादा का समय बीतने को आया है। जिसके कारण किसान अब अपनी उपज को व्यापारियों के हाथों घाटा उठाकर बेचने पर मजबूर हैं। हालांकि उपार्जन पोर्टल के जल्द शुरू होने और मूंग की खरीदी समर्थन मूल्य पर किए जाने का आश्वासन दिया जा रहा है। लेकिन लगातार हो रही देरी के कारण अब किसान आशंकाओं से घिर गए हैं। 

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आलम यह है कि किसान अब दो हजार रुपए तक का घाटा उठाकर अपनी फसल बेचने पर मजबूर हैं। सरकार ने मूंग की खरीदी पर 7196 रुपए प्रति क्विंटल का समर्थन मूल्य तय किया था। लेकिन आज किसान तीन से 6 हजार रुपए तक की दर से अपनी फसल बेचने पर मजबूर हैं। किसानों को मूंग तैयार करने में प्रति क्विंटल लगभग तीन हजार रुपए तक का खर्चा आता है। 

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फसल को कम दामों पर बेचने के पीछे दो प्रमुख कारण हैं। चूंकि उपार्जन पोर्टल बंद है इसलिए जिन किसानों के फोन पर फसल खरीदी का मेसेज आया था उन्हें यह आशंका सता रही है कि उपार्जन पोर्टल खुलने के बाद भी उनकी उपज खरीदी नहीं जाएगी। क्योंकि मेसेज आने के बाद उपज की खरीदी का समय सात दिनों तक के लिए मान्य होता है। दूसरी तरफ किसानों को अगली फसल की बुआई भी करनी है। जिसके लिए किसानों को अच्छा खासा खर्च वहन करना होगा। इन सभी आशंकाओं और संभावनाओं के कारण किसान चिंतावश अपनी फसल कम दामों में बेच रहे हैं।