दुनिया में सबसे ज्यादा कोरोना का प्रभाव झेलने वाले अमेरिका को कोरोना वैक्सीन के इमरजेंसी उपयोग की अनुमति मिल गई है। अमेरिकी कंपनी फाइजर ने जर्मन फार्मा कंपनी बायोएनटेक के साथ मिलकर जो वैक्सीन बनाई है, उसके इमरजेंसी इस्तेमाल की इजाजत दे दी गई है। अमेरिकी सरकार वैक्सीन बनाने वाली एक दूसरी कंपनी मॉर्डना से भी 10 करोड़ कोरोना वैक्सीन खरीदने वाली है।

हाल ही में अमेरिकी सरकार की एक सलाहकार समिति ने फाइजर के वैक्सीन के इमरजेंसी उपयोग की अनुमति दी है। यह फैसला एक बैठक में करीब 8 घंटे चली बहस के बाद लिया गया। अमेरिका के खाद्य एवं औषधि प्रशासन सलाहकार समिति के सदस्यों ने 4 के मुकाबले 17 वोटों से कोरोना वैक्सीन के आपातकालीन उपयोग की इजाजत दी।वहीं एक मेंबर बैठक में नहीं पहुंचा था। 

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कोरोना वैक्सीन का पहला डोज 24 घंटे से भी कम अवधि के भीतर दे दिया जाने का दावा किया गया है। हालांकि फाइजर कंपनी के वैक्सीन को अभी मिली इजाजत अंतरिम है। फाइजर को अमेरिका में वैक्सीन को नियमित रूप से बेचने के लिए दोबारा अप्लाय करना होगा।  वैक्सीन के बार में एक्सपर्ट का मानना है कि इस वैक्सीन के फायदे से ज्यादा नुकसान होने का आशंका है। इससे अभी होने वाले संभावित खतरों से ज्यादा हैं, इसलिए वैक्सीन को इस्तेमाल की इजाजत दे दी गई है।

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अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इसे अंधेरे वक्त में एक रोशनी कहा है। उन्होंने वैज्ञानिकों, रिसर्चरों का आभार जताया है। अमेरिका के सामने अब वैक्सीन के निर्माण और इसका वितरण बड़ी चुनौती है।

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वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसे चिकित्सीय चमत्कार बताया है। उन्होंने सोशल मीडिया में दिए वीडियो संदेश में कहा है कि ’हमने महज नौ महीने में सुरक्षित एवं प्रभावी दवा उपलब्ध करवाई।’’ राष्ट्रपति ट्रंप  का कहना है कि अमेरिका दुनिया का ऐसा पहला देश है जिसने सुरक्षित और प्रभावी टीका विकसित किया। यह उपलब्धि अमेरिका की असीमित क्षमता की याद दिलाती है। यह टीका अमेरिकियों को मुफ्त में उपलब्ध करवाया जाएगा।

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गौरतलब है कि ब्रिटेन, कनाडा, बहरीन और सऊदी अरब में फाइजर की कोरोना वैक्सीन को पहले ही अनुमति मिल चुकी है। भारत में भी कोविड वैक्सीन के इमरजेंसी उपयोग की इजाजत मांगी गई है।