कोरोना वैक्सीन ख़रीदने में भारत पीछे, पश्चिमी देशों की स्थिति काफ़ी बेहतर

Corona Vaccine: पश्चिमी देश अपनी आबादी से कई गुना वैक्सीन खरीद रहे हैं, जबकि भारत ने 59 फीसदी आबादी के लिए ही वैक्सीन का ऑर्डर दिया है

Updated: Dec 11, 2020, 05:06 PM IST

Photo Courtesy: Zee Business
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कोरोना वैक्सीन के बाज़ार में आने पर क्या भारत के सभी लोगों को वैक्सीन मिल पाएगी? फिलहाल जो हालत है, उसे देखकर तो ऐसा नहीं लगता। भारत ने वैसे तो अब तक कोरोना वैक्सीन की 1.6 अरब यानी 160 करोड़ डोज़ खरीदने का ऑर्डर दिया है, जो संख्या के लिहाज से तो बाकी देशों से ज़्यादा है, लेकिन देश की आबादी को देखते हुए ये पर्याप्त नहीं है। कोरोना की अधिकांश वैक्सीन में महामारी के प्रति इम्युनिटी विकसित करने के लिए एक व्यक्ति को दो या ज़्यादा डोज़ देनी पड़ती है। इस लिहाज से भारत ने अब तक जितनी वैक्सीन खरीदने का ऑर्डर दिया है, वो देश की 59 फीसदी आबादी के लिए ही काफी होगा।

शायद यही वजह है कि भारत सरकार ने कुछ दिनों पहले कहा कि देश में सभी लोगों को वैक्सीन लगाने की उसकी कोई योजना नहीं है। जबकि उससे पहले खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कह चुके थे कि देश के सभी लोगों तक वैक्सीन पहुंचाई जाएगी। लेकिन अब सरकार कह रही है कि देश में वैक्सीन का इस्तेमाल कोरोना इंफेक्शन की दर को कम करने के लिए किया जाएगा। 

भारत के मुकाबले पश्चिमी देशों ने अपनी कुल आबादी से कई गुना वैक्सीन खरीदी है। आंकड़े बताते हैं कि कनाडा ने अपनी आबादी के मुकाबले 601 प्रतिशत यानी छह गुनी संख्या में वैक्सीन खरीदी है। अमेरिका ने आबादी के मुकाबले 443 प्रतिशत, ब्रिटेन ने 418 प्रतिशत, ऑस्ट्रेलिया 266 प्रतिशत और यूरोपीय संघ ने अपनी आबादी के मुकाबले 244 प्रतिशत वैक्सीन खरीद ली है। इन देशों ने ऐसा इसलिए किया है, क्योंकि एक व्यक्ति को कोरोना से बचाने के लिए एक से ज्यादा बार टीकाकरण की ज़रूरत पड़ सकती है। फिलहाल ये ठीक से पता नहीं है कि कोरोना का टीका एक बार लगाने के बाद कितने दिनों तक सुरक्षा दे सकता है। ऐसे में ज्यादा रिस्क वाली आबादी को एक बार टीका लगाने के बाद भी बार-बार बूस्टर डोज़ देने की ज़रूरत पड़ सकती है।

अमेरिका के ड्यूक विश्वविद्यालय के एक अध्ययन में भी यही बात सामने आई है कि उच्च आय वाले देशों ने अपनी आबादी को कई बार कवर करने के लिए जनसंख्या से कई गुना ज्यादा कोरोना के टीके खरीद लिए हैं। लेकिन निम्न और मध्यम आय वाले देशों की हालत अभी ऐसी नहीं है कि वो सभी लोगों को टीका लगा सकें। इन हालात में कोरोना की वैक्सीन पूरी तरह बाजार में आने के बाद भी अधिकांश उच्च आय वाले देशों की आबादी को ही इसका सबसे ज़्यादा लाभ मिलेगा, जबकि निम्न और मध्यम आय वाले देशों के लोगों को इसके लिए काफी इंतज़ार करना पड़ सकता है।