काठमांडू। नेपाल में शुक्रवार से जारी भारी बारिश ने भीषण तबाही मचा दी है। दो दिनों में बाढ़ और भूस्खलन से 51 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 9 लोग लापता हैं। सबसे अधिक नुकसान पूर्वी नेपाल के इलाम जिले में हुआ है, जहां लैंडस्लाइड में 37 लोगों की जान गई।

इलाम की जिला अधिकारी सुनिता नेपाल ने बताया कि रातभर की मूसलाधार बारिश ने कई जगहों पर पहाड़ खिसका दिए हैं। सड़कों के बंद होने से रेस्क्यू में दिक्कत आ रही है और बचावकर्मी पैदल ही गांवों तक पहुंच रहे हैं। राजधानी काठमांडू में भी नदियों का जलस्तर बढ़ने से कई बस्तियां डूब गई हैं। सेना और पुलिस हेलिकॉप्टर और मोटरबोट से लोगों को निकाल रही हैं।

स्थिति की गंभीरता को देखते हुए नेपाल सरकार ने सोमवार और मंगलवार को पूरे देश में सार्वजनिक अवकाश घोषित किया है। वहीं, मौसम विभाग ने 12 जिलों में रेड अलर्ट जारी किया है। विशेषज्ञों के अनुसार, इस बार मानसून सामान्य से अधिक समय तक चला, जिससे नुकसान बढ़ा है। जलवायु परिवर्तन के कारण नेपाल जैसे पर्वतीय देशों में बाढ़ और भूस्खलन की घटनाएं पहले से अधिक खतरनाक हो गई हैं।

दक्षिण-पूर्वी नेपाल में कोसी नदी का जलस्तर सामान्य से दोगुना हो गया है। अधिकारी धर्मेंद्र कुमार मिश्रा ने बताया कि कोसी बैराज के सभी 56 गेट खोल दिए गए हैं, जबकि सामान्य तौर पर 10-12 गेट ही खोले जाते हैं। भूस्खलन से कई प्रमुख सड़कें बंद हैं, जिससे दशैं त्योहार के बाद घर लौट रहे सैकड़ों यात्री फंसे हुए हैं। खराब मौसम के कारण शनिवार को सभी घरेलू उड़ानें भी रद्द कर दी गईं हैं, जबकि अंतरराष्ट्रीय उड़ानें चालूतो हैं लेकिन देरी से चल रही हैं।

प्रभावित लोगों ने बताया कि रात में अचानक पानी और मलबा घरों में घुस आया, जिससे सब कुछ नष्ट हो गया। कई इलाकों में घर कमर तक पानी में डूबे हैं। सरकार ने नदियों और पहाड़ी इलाकों से दूर रहने की अपील की है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मदद मांगी है। विशेषज्ञों ने चेताया है कि अगर जलवायु परिवर्तन पर जल्द कदम नहीं उठाए गए, तो दक्षिण एशिया में ऐसी आपदाएं और बढ़ेंगी।