अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) का रोवर पर्सेवरेंस (Perseverance) बीती रात मंगल ग्रह पर जा पहुंचा। यह जानकारी नासा ने ट्वीट करके दी है। नासा ने बताया कि उसका रोवर पर्सेवरेंस रोवर मंगल की सतह पर सफलतापूर्वक उतर चुका है। पर्सेवरेंस को 30 जुलाई 2020 को लॉन्च किया गया था। नासा का यह रोवर मंगल ग्रह की सतह पर जीवन के संकेतों की खोज करेगा। 



अगर नासा का यह प्रोजेक्ट तय योजना के मुताबिक आगे बढ़ता रहा तो उसका पर्सेवेरेंस रोवर जेजे़रो (Jezero) नामक एक 820 फुट गहरे क्रेटर के आधार को छुएगा। वैज्ञानिकों का मानना है कि जेजे़रो पहले एक झील हुआ करती थी, जिसमें करीब 350 करोड़ साल पहले पानी हुआ करता था। नासा के रोवर की मंगल की सतह पर सफल लैंडिंग के साथ ही नासा के वैज्ञानिकों और कर्मचारियों के बीच खुशी की लहर दौड़ गई।



 





 



नासा का यह अभियान मंगल ग्रह पर मनुष्य को बसाने की संभावनाएं तलाशने के लिहाज से बेहद अहम माना जा रहा है। पर्सेवरेंस रोवर की मंगल पर सुरक्षित लैंडिग के बाद, नासा के कार्यकारी प्रशासक स्टीव जर्कजी ने अपनी टीम को बधाई दी। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के कारण सामने आई मुश्किल चुनौतियों के बीच अपने रोवर को मंगल ग्रह पर सफलता के साथ उतारकर नासा की टीम ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। 



 





 



पर्सेवरेंस रोवर को कोरोना महामारी फैलने के बाद 30 जुलाई 2020 को लॉन्च किया गया था। यह रोवर मंगल ग्रह की सतह पर जीवन के संकेतों की खोज करेगा। इसके साथ ही वहां से टूटी हुई चट्टानों और धूल के नमूने भी जमा करेगा। इन नमूनों को आने वाले समय में एक और अभियान के जरिए धरती पर वापस लाया जाएगा। उम्मीद है कि इस दूसरे अभियान के जरिये इन नमूनों को साल 2031 में धरती पर लाया जा सकता है। मंगल ग्रह पर पर्सेवरेंस रोवर वहां के भौगोलिक हालात और जलवायु का भी पता लगाएगा। पर्सेवरेंस नासा का पांचवां रोवर है।



 



कार के आकार वाले इस रोवर की लैंडिंग का नासा ने लाइव टेलिकास्ट किया। 12 हजार मील प्रति घंटे की रफ्तार से सफर कर रहे इस रोवर की स्पीड को कम करने के लिए एक सुपरसॉनिक पैराशूट का इस्तेमाल किया गया। यह रफ्तार कितनी अधिक है, इसका अंदाज़ा आप इस बात से लगा सकते हैं कि इतनी स्पीड से ट्रैवल करने पर लंदन से न्यूयॉर्क पहुंचने में सिर्फ 15 मिनट लगेंगे।