भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार ने राज्यमंत्री प्रतिमा बागरी की मुश्किलें बढ़ सकती है। कांग्रेस ने बागरी पर फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनाने के आरोप लगाए हैं। विपक्ष का कहना है कि वह राजपूत जाति से हैं। जबकि उन्होंने दलित वर्ग के लिए आरक्षित सीट से चुनाव जीता। इसके बाद उन्हें मोहन कैबिनेट में राज्यमंत्री बनाया गया। कांग्रेस ने उन्हें तत्काल मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने की मांग की है।

मध्य प्रदेश कांग्रेस अनुसूचित जाति विभाग के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप अहिरवार ने मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर प्रदेश सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। अहिरवार ने कहा कि मप्र शासन में राज्य मंत्री बनी बैठी प्रतिमा बागरी का जाति प्रमाण पत्र फर्जी है और उन्होंने अनुसूचित जाति के आरक्षण का गलत तरीके से लाभ उठाया है। अहिरवार ने कहा कि अगर राज्य सरकार इस मामले में कानूनी कार्रवाई कर निष्पक्ष जांच नहीं कराती है कांग्रेस अनुसूचित जाति विभाग उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएगी।

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उन्होंने कहा कि सतना जिले के रैगांव विधानसभा क्षेत्र, जहां से श्रीमती प्रतिमा बागरी विधायक हैं, वह अनुसूचित जाति (अजा) के लिए आरक्षित है। लेकिन तथ्य यह है कि बुंदेलखंड, महाकौशल और विंध्य क्षेत्र में रहने वाले ‘बागरी’ जाति के लोग मूल रूप से ठाकुर (राजपूत) समुदाय से आते हैं और अनुसूचित जाति की श्रेणी में नहीं आते। इसके बावजूद प्रतिमा बागरी एवं इनके परिवार ने प्रशासनिक मिलीभगत से फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनवाकर आरक्षित सीट से चुनाव लड़ा और मंत्री पद हासिल कर लिया, जो संविधान और सामाजिक न्याय की मूल भावना के खिलाफ है।

अहिरवार ने कहा कि सन 1961 व 1971 की जाति जनगणना में पन्ना, सतना और सिवनी जिलों में अनुसूचित जाति में शामिल नहीं थी। जाति छानबीन समीति मध्य प्रदेश के 2003 निर्णय एवं 2007 भारत सरकार के राजपत्र के सरकारी आदेशों में स्पष्ट किया गया है कि राजपूत समुदाय के ‘बागरी’ जाति के लोग अनुसूचित जाति का लाभ नहीं ले सकते। इसके बावजूद, कुछ लोगों ने फर्जी प्रमाण पत्र बनवाकर सरकारी नौकरियों और चुनावी आरक्षण का दुरुपयोग किया। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रतिमा बागरी भी इसी प्रक्रिया के तहत गलत तरीके से अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र प्राप्त कर विधायक और मंत्री बनी हैं।

उन्होंने आगे कहा कि साल 2003 में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा सभी कलेक्टरों को निर्देश जारी किए गए थे कि बुंदेलखंड, महाकौशल और विंध्य क्षेत्र में रहने वाले राजपूत बागरी समाज के लोगों को अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र जारी न किया जाए। इसके बाद साल 2007 में भारत सरकार द्वारा भी यह स्पष्ट कर दिया गया था कि राजपूत ठाकुर समुदाय के ‘बागरी’ जाति के लोग अनुसूचित जाति में शामिल नहीं हैं, इसलिए उन्हें अनुसूचित जाति वर्ग का प्रमाण पत्र नहीं दिया जाना चाहिए। 

अहिरवार ने बताया कि राज्य शासन एवं मप्र उच्चस्तरीय छानबीन समिति के स्पष्ठ आदेश है कि बुंदलेखंड, महाकौशल, विंध्य क्षेत्र में रहने वाले उपनाम बागरी का प्रयोग करने वाले लोग राजपूत/ ठाकुर जाति के है एवं ये बड़े किसान है और इन्हें अनुसूचित जाति को दी जाने वाली सुविधाएं न दी जाए। इसके बावजूद, प्रतिमा बागरी को गलत तरीके से जाति प्रमाण पत्र जारी किया गया और उन्होंने इसका लाभ लेकर राजनीति में प्रवेश किया। अनुसूचित जाति वर्ग की जाति बागरी और राजपूत समाज की जाति बागरी के लोग जाति नाम समानता का लाभ ले रहे है। जबकि राजपूत बागरी लोग अनुसूचित जाति वर्ग के न होकर राजपूत/ठाकुर समुदाय से सम्बंध रखते हैं।

अहिरवार ने उदाहरण देते हुए कहा कि कुशवाहा जाति माली पिछड़ा वर्ग में आते है, एवं राजपूत/ठाकुर (सामान्य) समाज में भी कुशवाहा जाति आती है। ऐसे ही अन्य उदाहरण भी सामने आते है। जिनमें सामान्य वर्ग के जातीया एवं अनुसूचित जाति/जनजाति और पिछड़े वर्ग की जातियों में जाति नाम की समानता है। उन्होंने कहा कि राज्य मंत्री श्रीमती प्रतिमा बागरी द्वारा फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर अनुसूचित जाति (अजा) के लिए आरक्षित सीट से चुनाव लड़ना और मंत्री पद प्राप्त करना, अनुसूचित जाति वर्ग के संवैधानिक अधिकारों की खुली हकमारी और आपराधिक कृत्य है। जो वास्तव में समाज के वंचित वर्ग का प्रतिनिधित्व कर सकते थे, उनका हक छीना गया है। यह न केवल आरक्षण नीति का दुरुपयोग है, बल्कि उन योग्य और हकदार अनुसूचित जाति के नेताओं के अवसर भी छीनने का सत्ता पक्ष का राजनैतिक षड्यंत्र है।

कांग्रेस नेता ने कहा कि संविधान द्वारा दिए गए सामाजिक न्याय और समानता के अधिकारों को ठेस पहुंचाने वाला यह कृत्य अनुसूचित जाति समाज के साथ अन्याय है, जिसकी उच्च स्तरीय जांच कर दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। मंत्री को तत्काल इस्तीफा देना चाहिए। अहिरवार ने राज्य सरकार और मुख्यमंत्री मोहन यादव से मांग की कि प्रतिमा बागरी के जाति प्रमाण पत्र की निष्पक्ष जांच कराकर उन्हें मंत्री पद से तत्काल बर्खास्त कर, वास्तविक अनुसूचित जाति वर्ग के विधायक को मंत्री परिषद में शामिल किया जाए एवं विधायक पद से इस्तीफा लेकर पुनः उप चुनाव कराया जाए। साथ ही प्रतिमा बागरी पर धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कर, कानूनी कार्रवाई की जाए। 

अहिरवार ने कहा कि अनुसूचित जाति समाज के हक पर कुठाराघात सहन नहीं किया जाएगा। अगर सरकार इस मामले को गंभीरता से नहीं लेती है तो अनुसूचित जाति कांग्रेस इस मुद्दे को न्यायालय तक ले जाएगी और सड़क से संसद तक संघर्ष किया जाएगा। अनुसूचित जाति कांग्रेस इस मुद्दे पर संघर्ष करेगी और जरूरत पड़ने पर सड़कों पर उतरकर आंदोलन करेगी। उन्होंने अनुसूचित जाति समुदाय के लोगों से अपने अधिकारों की रक्षा के लिए संगठित होकर विरोध दर्ज कराने की अपील की।