इंदौर। मध्यप्रदेश की संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर का मदरसों को लेकर एक बड़ा बयान आया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि मदरसों को मिलने वाली सरकारी मदद बंद होनी चाहिए। उनका आरोप है कि मदरसों में दी जाने वाली धर्म आधारित शिक्षा से कट्टरता पनप रही है। मदरसों में दी जा रही शिक्षा से अंदाजा लगया जा सकता है कि यहां से आतंकवादी ही बाहर निकलते हैं। मंत्री उषा ठाकुर ने कहा कि सभी विद्यार्थी एक से होते हैं, सभी की सामूहिक रूप से एक सी शिक्षा मिलनी चाहिए।
यही नहीं, पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ पर हमला करते हुे उन्होंने ये भी कहा कि उन्होंने अपने शासनकाल में मंदिरों की कमाई पर 10 फीसदी टैक्स लगाया, जो कि जजिया कर के समान था। इस कर से धार्मिक अखंडता को धक्का लगा। दूसरी तरफ उन्होंने मौलवियों को पांच हजार वेतन देने पर भी आपत्ति जताई। यह प्रेस कांफ्रेस वो बीजेपी प्रत्याशी तुलसी सिलावट के पक्ष में वोट मांगने के लिए कर रही थीं।
‘चुनाव को सांप्रदायिक एजेंडे पर ले जाने की कोशिश’
कांग्रेस ने संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर के मदरसों पर दिए विवादित बयान पर कड़ी आपत्ति जताई है। कांग्रेस का आरोप है कि बीजेपी चुनाव को मुद्दों से भटकाने में माहिर है। लगातार असफलताओं के बाद अब बीजेपी चुनाव को सांप्रदायिक एजेंडे पर ले जाने की कोशिश कर रही है। संस्कृति मंत्री का मदरसों पर दिया बयान उसी का हिस्सा है, कांग्रेस ने चुनाव आयोग से इस मामले को संज्ञान में लेने की मांग की है।
असम सरकार ने मदरसों और संस्कृति विद्यालयों बंद
गौरतलब है कि असम सरकार ने सभी सरकारी मदरसों और संस्कृत स्कूलों को बंद करने का फैसला लिया है। असम के शिक्षा मंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने इसके बारे में तर्क दिया था कि मदरसे आजादी से पहले खोले गए थे। उन्होंने इसे मुस्लिम लीग की विरासत बताया था। इस पर मध्यप्रदेश की संस्कृति मंत्री ने कहा कि असम ने मदरसे बंद करने का फैसला लेकर उदाहरण पेश किया है कि जो विचारधार देश के राष्ट्रवाद में बाधा डालने का काम करती है उसे बंद होना ही चाहिए।
मंत्री उषा ठाकुर का कहना है कि वक्फ बोर्ड खुद एक सक्षम संस्था है, जो मदरसों को मदद करने में सक्षम है। अपनी बात को सम्हालते हुए उन्होंने कहा कि अगर कोई पर्सनल तौर पर किसी तरह की मदद करना चाहता है तो देश का संविधान उसकी अनुमति देता है।
मदरसों की फंडिग वक्फ बोर्ड करे, सरकार नहीं
संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर ने तत्कालीन पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के उस फैसले पर भी सवाल उठाए जिसमें कांग्रेस सरकार ने मदरसों के इमामों को 5 हजार, मुअज्जिन को 4500 रुपए वेतन देने की बात कही थी। उषा ठाकुर ने कहा कि वक्फ बोर्ड दुनिया का सबसे बड़ा संगठन है, मदरसों के लिए वक्फ बोर्ड के माध्यम से व्यवस्था की जा सकती है। इसके लिए जनता की गाढ़ी कमाई खर्च करने की जरूरत नहीं है। मंत्री ने कांग्रेस पर निजी स्वार्थ के लिए फैसले लेने का आरोप लगाया।
गौरतलब है कि मंत्री उषा ठाकुर कई बार विवादित बयान दे चुकी हैं। गरबे में मुस्लिमों को प्रवेश देने पर उन्होंने आपत्ति जताते हुए कहा था कि वंदे मातरम् गाने में अल्पसंख्यकों को आपत्ति होती है तो दुर्गा पूजा के दौरान गरबा कैसे कर सकते हैं। उन्होंने गरबा आयोजकों को बिना महिला सदस्य के गरबे में शामिल होने वाले मुस्लिम लड़कों को दूर रखने की बात कही थी।