एमपी में कैबिनेट विस्‍तार के बाद 6 दिनों विभागों का बंटवारा नहीं हुआ है। बीजेपी और शिवराज सरकार के इस जारी इस विवाद पर कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्‍यमंत्री दिग्विजय सिंह ने तंज कसा है। उन्‍होंने कहा है कि मंत्रियों को विभाग देने पर दिल्‍ली से लेकर भोपाल तक वर्कआउट चल रहा है। यह विभाग के बंटवारे का झगड़ा नहीं बल्कि लूट के बंटवारे का झगड़ा है।



मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार 9 जुलाई को सुबह अपने मंत्रिमंडल की बैठक बुला कर संकेत दिए थे कि वे बुधवार को मंत्रिमंडल के साथियों में विभागों का वितरण कर देंगे। मगर कैबिनेट बैठक का समय शाम को कर दिया गया है। माना जा रहा था कि गुरुवार शाम के पहले वे अपने मंत्रियों को विभाग प्रदान कर देंगे। मगर यह बैठक भी टाल दी गई। 



सूत्रों के अनुसार कांग्रेस छोड़ कर बीजेपी में आए ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया अपने समर्थकों के लिए आबकारी,परिवहन, राजस्‍व, नगरीय प्रशासन जैसे महत्‍वपूर्ण विभाग मांग रहे हैं मगर शिवराज इस मामले में समझौता करने को तैयार नहीं हैं। इसी पेंच को सुलझाने के लिए शिवराज दिल्‍ली भी गए और वहां उन्‍होंने वरिष्‍ठ नेताओं से कई दौर की बात की। दिल्‍ली यात्रा से भोपाल लौटे मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह ने कहा था कि अभी विभाग वितरण में वे और वर्कआउट करेंगे। सूत्रों के अनुसार भोपाल में शिवराज ने प्रदेश अध्‍यक्ष वीडी शर्मा और संगठन महामंत्री सुहास भगत से चर्चा कर विभाग वितरण पर विमर्श किया। उन्‍होंने सिंधिया खेमे को महत्‍वपूर्ण विभाग देने के बाद के असर पर मंथन किया है।





इसी वर्कआउट पर तंज करते हुए पूर्व मुख्‍यमंत्री दिग्विजय सिंह ने ट्वीट किया है कि मध्यप्रदेश मंत्रिमंडल में विभागों के बँटवारे को ले कर पूरी भाजपा दिल्ली से ले कर भोपाल में “वर्कआउट” चल रहा है। यह मंत्रिमंडल के बँटवारे का झगड़ा नहीं है यह “लूट” के बँटवारे का झगड़ा है। परिवहन, एक्साइज़, राजस्व् शहरी विकास आदि सिंधिया जी नहीं छोड़ना चाहेंगे। क्यों? समझ जाओगे!



गौरतलब है कि मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपनी शपथ ग्रहण के 3 माह बाद 2 जुलाई को कैबिनेट विस्‍तार किया तो इस देरी की एक वजह पार्टी में बढ़ती गुटबाजी और हर गुट को संतुष्‍ट करने की कवायद थी। मंत्रिमंडल विस्‍तार के बाद पता चला कि बीजेपी ने कांग्रेस छोड़कर आए ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया के आगे लगभग सरेंडर करते हुए सिंधिया समर्थकों को पूरी तवज्‍जो दी। यहां तक कि पहली बार चुने गए सिंधिया समर्थकों को मंत्री बनाया गया और बीजेपी के चार बार से विधायकों को नजरअंदाज किया गया। लेकिन मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मुसीबतें यहीं खत्‍म नहीं हुई हैं। सूत्र बताते हैं कि ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया तुलसी राम सिलावट को उप मुख्‍यमंत्री बनवाना चाहते हैं। दूसरी तरफ कांग्रेस सरकार गिराने में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाने वाले बीजेपी नेता और वर्तमान गृहमंत्री नरोत्‍तम मिश्रा भी उप मुख्‍यमंत्री बनना चाहते हैं। यह मुद्दा अभी सुलझा भी नहीं था कि सिंधिया ने अपने समर्थकों के लिए कांग्रेस सरकार के समय रहे विभाग तथा कुछ अन्‍य अहम् विभागों की मांग कर दी है।