हरदा| मध्य प्रदेश के हरदा में मंगलवार-बुधवार की रात से लाइन में खड़े किसानों को टोकन मिलने के बावजूद यूरिया खाद नहीं मिल सका। बुधवार दोपहर जब किसानों को गोदाम में स्टॉक खत्म होने की जानकारी मिली तो उन्होंने पुलिस की मौजूदगी में विरोध जताया और कलेक्ट्रेट पहुंचकर प्रशासन से खाद उपलब्ध कराने की मांग की। तेज धूप में लाइन में खड़े लछोरा गांव निवासी अर्जुन कीर की तबीयत भी बिगड़ गई।
इस बार जिले में सोयाबीन की जगह मक्का की खेती का रकबा तीन गुना बढ़ाया गया है, लेकिन समय पर खाद नहीं मिलने से फसलों को नुकसान पहुंचने का खतरा बढ़ गया है। प्रशासन द्वारा एमपी एग्रो, डीएमओ गोदाम और सोसायटियों के माध्यम से खाद वितरण की सूचना मिलने के बाद सैकड़ों किसान देर शाम से ही गोदामों पर पहुंच गए थे। बैरिकेड के बीच मच्छरों से जूझते हुए किसान रातभर अपनी बारी का इंतजार करते रहे।
यह भी पढ़ें: पंडित प्रदीप मिश्रा की कांवड़ यात्रा में 2 और लोगों की मौत, दो दिन में 4 श्रद्धालुओं की गई जान
बुधवार को विपणन संघ प्रबंधक योगेश मालवीय ने जानकारी दी कि जिले में 1,100 मीट्रिक टन यूरिया कॉपरेटिव और 300 मीट्रिक टन यूरिया प्राइवेट डीलरों को वितरित किया गया। लेकिन कृषि विभाग द्वारा निजी विक्रेताओं के नाम सार्वजनिक नहीं किए गए, जिससे बड़ी संख्या में किसान डीएमओ गोदाम पर इकट्ठा हो गए।
दोपहर होते-होते जब किसानों की लाइन में धक्का-मुक्की शुरू हुई तो तीन थानों की पुलिस मौके पर तैनात कर दी गई। पुलिस ने खुद टोकन बांटना शुरू किया, लेकिन फिर भी कई किसानों को बारी आने तक खाद नहीं मिल सका। किसानों का कहना है कि मक्का की फसल बुआई के एक महीने बाद भी उन्हें एक बार भी यूरिया नहीं मिला, जिससे पौधों का रंग पीला पड़ने लगा है।
विधायक डॉ. आर. के. दोगने ने प्रशासन पर सवाल उठाते हुए कहा कि जिला प्रशासन के पास जमीन का पूरा रिकॉर्ड होने के बावजूद खाद की मांग समय पर नहीं भेजी गई, जिससे किसान संकट में हैं। उन्होंने बताया कि किसान न केवल खाद के लिए बल्कि अपनी फसल बेचने के लिए भी घंटों लाइन में लगने को मजबूर हैं।
फिलहाल प्रशासन का दावा है कि जिले को 24,500 मीट्रिक टन खाद की आवश्यकता है, जिसमें से 22,000 मीट्रिक टन खाद पहले ही आ चुकी है और लगातार रैक लगाई जा रही हैं। बुधवार सुबह 10 बजे से विभिन्न गोदामों और सहकारी समितियों के माध्यम से यूरिया का वितरण शुरू किया गया है। प्रशासन का कहना है कि किसानों को खरीफ सीजन के लिए आवश्यकता के अनुसार खाद उपलब्ध कराई जा रही है।