छिंदवाड़ा। टाइगर स्टेट मध्य प्रदेश में टाइगर हंट की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही है। प्रतिदिन यहां एक बाघ की मौत हो रही है। बुधवार सुबह कन्हान वन परिक्षेत्र अंतर्गत छिंदवाड़ा के बिछुआ ब्लॉक में एक बाघ मृत अवस्था में पाया गया है। शुरुआती तौर पर संदेह जताया जा रहा है कि बाघ को करंट लगाकर मारा गया है। पिछले तीन दिनों प्रदेश में तीन बाघों की मौत हुई है इसी के साथ इस साल मृतक बाघों का आंकड़ा 44 तक पहुंच गया है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक छिंदवाड़ा जिले के बिछुआ के ग्राम सहान वाडी में बुधवार सुबह बाघ का शव बरामद हुआ है। मामला वन परिक्षेत्र के कन्हान रेंज का है। शुरुआती तौर पर यह संदेह है कि शिकारियों ने ही टाइगर मारा होगा। लेकिन वे टाइगर और शव को ठिकाने नहीं लगा सके और इसके पहले ही सूचना वन विभाग तक पहुंच गई। वन विभाग मौत के कारणों को लेकर कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं।
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सौसर के एसडीओ प्रमोद चोपरे ने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि फिलहाल मामले की जांच की जा रही है। वन विभाग की टीम मौके पर पहुंच गई है और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। पोस्टमार्टम के बाद ही मौत के असल कारणों का पता चल सकेगा। पिछले तीन दिन में यह तीसरा बाघ है जिसकी संदिग्ध मौत हुई है। इसके पहले मंगलवार को सिवनी जिले के पेंच टाइगर रिजर्व में बाघिन T-35 मृत अवस्था मे मिली थी। वहीं सोमवार को डिंडौरी के शाहपुर वन क्षेत्र में एक बाघिन मृत पाई गई थी।
वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट अजय दुबे ने बाघों की मौत के लिए पूरी तरह से वन विभाग को जिम्मेदार बताया है। दुबे ने कहा कि, 'बीते कुछ सालों से मध्य प्रदेश में सर्वाधिक बाघों की मौत हो रही है। ऐसा लगता है प्रतिदिन हो रही मौतों के बाद भी वन विभाग को कोई चिंता नहीं है। आप ये जानकर हैरान होंगे कि मध्य प्रदेश में पिछले पांच वर्षों में टाइगर सेल की एक भी बैठक नहीं हुई है। एमपी न तो ढंग से सुपरविजन होता है, न पैट्रोलिंग होती है, और न ही इंटेलिजेंस नेटवर्क है।'
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बता दें कि पिछले हफ्ते विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान कांग्रेस विधायक नारायण सिंह पट्टा ने बाघों की मौत को लेकर सवाल उठाया था। इसके लिखित जवाब में वनमंत्री विजय शाह ने बताया की इस साल जनवरी से लेकर 7 सितंबर तक 41 बाघों के मौत की पुष्टि हुई इनमें से 11 बाघों का शिकार हुआ है। लेकिन अब यह आंकड़ा बढ़कर 44 तक जा पहुंचा है।