कोरोना से निपटने के लिए भारत में lockdown 4.0 की गाइडलाइन के साथ ही मानसून की एक्टिविटी की खबरें भी आ गई हैं। मौसम वैज्ञानिक मानसून की चाल पर अपनी भविष्‍यवाणी कर चुके हैं। भोपाल मौसम केंद्र के निदेशक अनुपम कश्‍यपी ने हमसमवेत को बताया कि मानसून अंडमान निकोबर तक आ गया है। इस बार मानसून तीन दिन पहले अंडमान आया है। आमतौर पर अंडमान में आने के करीब 10 दिन बाद यह केरल पहुंचता है मगर इस बार इसे केरल पहुंचने में देरी होगी। इसी कारण मध्य प्रदेश में भी मॉनसून करीब एक सप्‍ताह की देरी से आएगा। मगर इसबार मध्य प्रदेश में सामान्‍य बारिश होगी। एमपी को सूखे का दंश नहीं झेलना होगा।

मौसम विभाग के अनुसार प्रदेश में Pre-monsoon गतिविधियां आरंभ हो गई हैं। इसका कारण बंगाल की खाड़ी में बना गहरा चक्रवात भी है। बंगाल की खाड़ी में उठ रहे तूफान अम्फान से जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड के साथ ही पंजाब, हरियाणा, उत्तरी राजस्थान व पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भी मौसम बिगड़ गया है। ओडिशा के तटीय इलाके और आसपास के क्षेत्र में तूफान की चेतावनी दी है। इसका असर भोपाल में भी देखा जा रहा है। भोपाल में अगले एक दो दिनों में बौछार पड़ने के साथ हवाएं चल सकती हैं। एक दो दिन बाद जमकर सूरज चमकेगा। तेज गर्मी के दौर के बाद मई अंत में फिर प्री मानसून एक्टिविटी जोर पकड़ेगी।

मौसम विभाग के निदेशक अनुपम कश्‍यपी ने बताया कि आमतौर पर मानसून केरल में 1 जून तक आ जाता है। लेकिन अब इसे केरल पहुंचने में करीब एक सप्‍ताह की देरी होगी। इस कारण एमपी में मानसून जून के आखिरी सप्‍ताह में 25 जून तक आ सकता है। कश्‍यपी ने कहा कि मानसून के देरी से आने के कारण चिंतित होने की जरूरत नहीं है। इस बार भी एमपी में सामान्‍य बारिश होगी। अधिकतर इलाकों में 96 से 104 प्रतिशत तक बारिश की संभावना है।

मौसम विभाग के मुताबिक एमपी में 1 जून से 11 सितंबर तक 854.8 मिलीमीटर बारिश होती है। इस अवधि में 2019 तक 1076.2 मिलीमीटर बारिश हुई थी जो सामान्य से 26 फीसदी अधिक थी। 1 जून से 11 सितंबर तक आमतौर पर भोपाल में 878.1 मिलीमीटर बारिश होती है। मगर  वहीं 1 जून 2019 से लेकर 11 सितंबर 2019 तक भोपाल में 1560.6 मिलीमीटर बारिश हुई थी। यह सामान्य से 78 फीसदी ज्यादा थी। भोपाल में साल 2006 में 30 सितंबर तक 1686 मिलीमीटर बारिश हुई थी।