कर्ज़ लो और घी पियो के सिद्धांत पर चल रही है मोहन सरकार, कर्जखोरी पर बरसे कमलनाथ
प्रदेश को कर्ज़ के दलदल में डुबाने वाली भाजपा सरकार के मुंह से आज तक यह नहीं सुना कि अगर प्रदेश के ऊपर कर्ज़ बढ़ रहा है तो सरकार फ़िज़ूल ख़र्च में कमी करने के लिए कोई क़दम उठाने जा रही है: कमलनाथ
भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार कर्ज के दलदल में धंसती जा रही है। डाॅ. मोहन यादव सरकार इस महीने एक बार फिर पांच हजार करोड़ का कर्ज लेने जा रही है। यह कर्ज दो बार में ढाई-ढाई हजार करोड़ रुपए के रूप में लिया जाएगा। कर्जखोरी को लेकर कमलनाथ ने राज्य सरकार को निशाने पर लिया है।
कमलनाथ ने ट्वीट किया, 'मध्य प्रदेश की डॉक्टर मोहन यादव सरकार कर्ज़ लो और घी पियो के सिद्धांत पर चल रही है। सरकार एक बार फिर से पाँच हज़ार करोड़ का कर्ज़ लेने जा रही है। प्रदेश पर पहले से ही 3.8 लाख करोड़ का कर्ज़ है।'
कमलनाथ ने आगे लिखा, 'प्रदेश को कर्ज़ के दलदल में डुबाने वाली भाजपा सरकार के मुंह से आज तक यह नहीं सुना कि अगर प्रदेश के ऊपर कर्ज़ बढ़ रहा है तो सरकार फ़िज़ूल ख़र्च में कमी करने के लिए कोई क़दम उठाने जा रही है। लगातार कर्ज़ लेने के बावजूद न तो प्रदेश में निवेश बढ़ा है, न रोज़गार बढ़ा है, न नौकरी बढ़ी है, न ही गेहूं और धान का समर्थन मूल्य बढ़ाया गया है और न ही लाड़ली बहनों को तीन हज़ार रुपये प्रति महीने दिए जा रहे हैं।'
कमलनाथ ने आगे लिखा है कि जब समाज के किसी वर्ग के कल्याण में यह पैसा ख़र्च नहीं हो रहा तो ज़ाहिर है, यह सारा कर्ज़ भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रहा है और सत्ता और संगठन मिलकर पैसे की बंदरबांट कर रहे हैं। अगर मोहन यादव सरकार इसी तरह कर्ज़ लेती रही तो प्रदेश दिवालियेपन की कगार पर पहुँच जाएगा।
उन्होंने मुख्यमंत्री यादव से कहा कि उन्हें अपनी वित्तीय नीतियों के बारे में फिर से सोचना चाहिए और इस तरह के क़दम उठाने चाहिए जिससे प्रदेश कर्ज़ के दलदल से बाहर आ सके।
बता दें कि इससे पहले, छह अगस्त को मोहन सरकार ने पांच हजार करोड़ का कर्ज लिया था। इसके बाद लाड़ली बहना योजना के लाभार्थियों को राखी के लिए 250 रुपए और 1250 रुपए की मासिक किश्त, कर्मचारियों को महंगाई भत्ते के बकाया एरियर्स की राशि का भुगतान किया गया है। छह अगस्त को लिए गए कर्ज में 11 साल और 21 साल की अवधि में ब्याज का भुगतान करना तय किया गया है।
राज्य सरकार औसतन हर महीने 2000 करोड़ का कर्ज ले रही है। इस महीने तो ये दस हजार करोड़ तक पहुंच गया है। मध्य प्रदेश की वित्तीय स्थिति पहले ही चिंताजनक है अब एक और नया कर्ज, एमपी सरकार के वित्तीय संकट के दलदल में फंसने का इशारा कर रहा है।
हाल ही में CAG ने अपनी रिपोर्ट में सरकार के बढ़ते राजकोषीय घाटे पर चिंता जताते हुए कहा था कि सरकार को ज्यादा कर्ज लेने के बजाय राजस्व बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए। साथ ही, नुकसान उठा रहे उपक्रमाें के कामकाज की समीक्षा कर उनमें सुधार की रणनीति बनाई जाना चाहिए। बजट तैयार करने की प्रक्रिया ऐसी हो, ताकि बजट अनुमान और वास्तविक बजट के बीच के अंतर को काम किया जा सके।