मुरैना। मध्य प्रदेश में रेत माफियाओं के हौसले बुलंद हैं। रेत माफियाओं द्वारा आए दिन प्रशासनिक अधिकारियों पर हमले घटनाएं सामने आ रही है। हालांकि, राज्य की भाजपा सरकार सुरक्षाबलों की बजाए माफिया के बचाव में उतर आई है। कृषि मंत्री इंदल सिंह कंसाना ने माफियाओं का पक्ष लेते हुए तर्क दिया कि वे लोग पेट पालने के लिए इस तरह के काम करते हैं।

दरअसल, मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में रेत माफियाओं ने 20 मार्च को वन विभाग की टीम पर हमला किया था। रेत माफिया इस दौरान ट्रैक्टर ट्रॉली भी वन कर्मी से छुड़ा ले गए। इस मामले पर शुक्रवार को मध्य प्रदेश विधानसभा में विपक्ष के उपनेता हेमंत कटारे ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इन रेत माफियाओं को सरकार का संरक्षण प्राप्त है। जो लोग सरकार में ऊंचे पदों पर बैठे हैं, अगर वे चाहें तो इन माफियाओं को चंद घंटों में ध्वस्त कर सकते हैं, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा। इसका कारण यह है कि सरकारी तंत्र के जरिए इनका पैसा ऊपर तक पहुंचता है।

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उन्होंने आगे कहा कि यह कोई नई बात नहीं है. पहले भी ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं, जिनमें एक आईपीएस अधिकारी पर हमला तक हुआ था, जो राष्ट्रीय सुर्खियों में आया था। मध्य प्रदेश की बड़ी बदनामी हुई थी कि कैसे रेत माफिया पुलिस प्रशासन और वन विभाग पर हावी है। गुरुवार की घटना भी यही दिखाती है कि ये माफिया न वन विभाग और पुलिस विभाग को कुछ समझते हैं। सरकार को विचार करना चाहिए कि वह अपने विभागों के साथ है या माफियाओं के साथ है।

मामले पर जब कृषि मंत्री एंदल सिंह कंसाना से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मुरैना में कोई रेत माफिया नहीं है, पेट माफिया है। वे पेट पालने के लिए काम कर रहे हैं। रेत माफिया उसे कहते हैं जो किसी एक व्यक्ति के लिए काम करे। इसका मतलब है कि मंत्री जी के अनुसार, जो लोग अपने परिवार का पेट भरने के लिए रेत का अवैध कारोबार कर रहे हैं, उन्हें माफिया नहीं कहा जा सकता।

बता दें कि गुरुवार को वन विभाग की गेम रेंज अंबाह की टीम ने बरेह गांव के पास चंबल रेत का परिवहन करते हुए ट्रैक्टर-ट्रॉली को पकड़ा था। इसके बाद टीम ट्रैक्टर-ट्रॉली को अपने साथ अंबाह ला रही थी। इस बीच रास्ते में रेत माफियाओं ने ट्रैक्टर के सामने अपनी बाइक गिराकर टीम को रोका और फिर वनकर्मियों पर हमला कर जब्त किया गया ट्रैक्टर छुड़ाकर ले गए थे।