कानपुर मुठभेड़ में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के मुख्य आरोपी विकास दुबे ने पुलिस पूछताछ में सनसनीखेज खुलासा करते हुए कहा है कि उसने मारे गए पुलिसकर्मियों के शवों को एक कुएं में फेंक दिया था। उसने पुलिस को बताया कि वह शवों में आग लगाकर सबूत मिटाना चाहता था लेकिन उसे ऐसा करने का समय नहीं मिला और उसे तुरंत अपने गांव बिकरू से निकलना पड़ा।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार विकास दुबे ने पुलिस को यह भी बताया कि उसे अपने पुलिस सूत्रों के हवाले से दो जुलाई की रात को होने वाली दबिश की जानकारी मिली थी। उसने बताया कि उसने पुलिस पर गोलियां इसलिए चलाईं क्योंकि उसे डर था कि पुलिस उसका एनकाउंटर करने के लिए आई है।

इससे पहले सुबह विकास दुबे को मध्य प्रदेश के उज्जैन के महाकाल मंदिर के बाहर से गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस छह दिनों उसकी तलाश कर रही थी। हालांकि, विपक्षी दलों ने दुबे की गिरफ्तारी को पहले से प्रयोजित आत्मसमर्पण बताया है।

बीती दो जुलाई की रात को कानपुर के चौबेपुर इलाके में स्थित गांव बिकरू में पुलिस की टीम पर घात लगाकर हमला किया गया जिसमें आठ पुलिसकर्मियों की मौत हो गई थी। यह पुलिस टीम दुबे को गिरफ्तार करने पहुंची थी। इस घटना के बाद से दुबे फरार चल रहा था।

पुलिस का कहना है कि दुबे करीब 60 आपराधिक मामलों में आरोपी है जिनमें हत्या के मामले भी हैं। वह 20 साल पहले थाने के भीतर हुई भाजपा के एक विधायक की हत्या का आरोपी भी था, हालांकि सबूतों के अभाव में वह बरी हो गया।

दुबे की गिरफ्तारी से कुछ घंटे पहले उसके दो कथित साथियों को उत्तर प्रदेश पुलिस ने अलग-अलग मुठभेड़ों में मार गिराया। पुलिस ने बताया कि दुबे का साथी कार्तिकेय उर्फ प्रभात कानपुर में तब मारा गया जब उसने पुलिस हिरासत से भागने की कोशिश की जबकि दूसरा साथी प्रवीण उर्फ बउवा दुबे इटावा में मुठभेड़ में मारा गया। कार्तिकेय को आठ जुलाई को फरीदाबाद से गिरफ्तार किया गया था।