बाबरी मस्जिद विध्वंस पर 30 सितंबर को फैसला, आडवाणी, जोशी समेत सभी आरोपी रहेंगे मौजूद

Babri Verdict: 28 साल बाद बाबरी विध्वंस मामले में सीबीआई अदालत सुनाएगी फैसला, कोरोना के दौरान ऑनलाइन हुई पेशी

Updated: Sep 17, 2020, 05:45 AM IST

Photo Courtsey: OneIndia
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लखनऊ। अयोध्या में साल 1992 में हुए बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में लखनऊ में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट 30 सितंबर को फैसला सुनाने वाली है। सीबीआई के विशेष न्यायाधीश एसके यादव ने फैसले के दिन न्यायालय में सभी 32 मुख्य आरोपियों को उपस्थित रहने का आदेश दिया है। बाबरी विध्वंस मामले में बीजेपी के कई दिग्गज नेता आरोपी हैं। इनमें बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, विनय कटियार और कल्याण सिंह जैसे नेता शामिल हैं।

सीबीआई के वकील ललित सिंह ने मीडिया को बताया कि अभियोजन पक्ष और बचाव पक्ष दोनों की बहस एक सितंबर को समाप्त हो गई जिसके बाद विशेष जज एस के यादव ने फैसला लिखना आरंभ कर दिया था। बता दें कि सीबीआई ने बाबरी विध्वंस मामले में कुल 351 गवाह और 600 दस्तावेजी सबूत अदालत में पेश किए हैं। 

साल 1992 में 6 दिसंबर को उत्तरप्रदेश के अयोध्या स्थित इस विवादित ढांचा विध्वंस मामले में भारत के पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, उत्तरप्रदेश पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, पूर्व केन्द्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी, मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती, पूर्व राज्यसभा सांसद विनय कटियार, अयोध्या राम मंदिर ट्रस्ट के महंत नृत्य गोपाल दास और कथावाचक साध्वी ऋतंभरा समेत कुल 32 अभियुक्त हैं। सभी अभियुक्तों की सुनवाई के दौरान कोरोना के मद्देनजर ऑनलाइन पेशी हो चुकी है।

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बता दें कि 28 साल पहले जब कारसेवकों द्वारा बाबरी मस्जिद को ढहाया गया था तब से ही मामला कोर्ट में चल रहा है। कारसेवकों का दावा है कि अयोध्या में यह मस्जिद ऐतिहासिक राम मंदिर के स्थान पर बनाई गई थी जिसे बाबर ने बनाया था। हालांकि मुस्लिम पक्ष इस बात से इंकार करते रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने विवादित स्थल पर राम मंदिर बनाने का आदेश दिया है लेकिन इनके ऊपर कानून को हाथ में लेने और गैररक़ानूनी गतिविधियों में शामिल होने का मामला चल रहा है। अब सभी की निगाहें इस बात पर है कि 30 सितंबर को न्यायालय क्या फैसला सुनाती है।