कोलकाता। पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, बीजेपी के शीर्ष नेताओं के दौरे बढ़ते जा रहे हैं। आज भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हल्दिया में चुनावी रैली करके मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर पूरी ताकत से हमला किया। राज्य के गवर्नर भी लंबे अरसे से लगातार ममता बनर्जी को निशाना बनाते रहते हैं। मीडिया के बड़े हिस्से को भी लंबे अरसे से पश्चिम बंगाल में ममता विरोधी लहर दिखाई दे रही है। लेकिन एक ताज़ा चुनावी सर्वे ने पश्चिम बंगाल के लोगों के मूड की कुछ अलग ही बानगी पेश की है। इस सर्वे के मुताबिक राज्य के 54 फीसदी से ज्यादा लोग एक बार फिर से ममता बनर्जी को पश्चिम बंगाल की कमान सौंपना चाहते हैं।

ये नतीजे टाइम्स नाउ और सी वोटर के जिस सर्वे में सामने आए हैं, वो 24 जनवरी से 4 फरवरी के दौरान राज्य के हर इलाके में कराया गया है। सर्वे के मुताबिक पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री पद की होड़ में आज भी कोई और  उम्मीदवार ममता बनर्जी के आसपास भी नहीं है। राज्य के लगभग 54.3 फीसदी लोग चाहते हैं कि ममता एकबार फिर से चुनाव जीतकर बंगाल की मुख्यमंत्री बनें।

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सर्वे में मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष दूसरे नंबर पर हैं। हालांकि वे लोकप्रियता के मामले में ममता बनर्जी के मुकाबले कहीं नहीं ठहरते। राज्य के महज 22.6 फीसदी लोग ही चाहते हैं कि दिलीप घोष सीएम बनें। टीम इंडिया के पूर्व कप्तान सौरभ गांगुली मीडिया में भले ही काफी सुर्खियां बटोर लेते हों, लेकिन इस सर्वे में शामिल सिर्फ 4.5 फीसदी लोगों ने ही उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने लायक माना है। गांगुली इस सर्वे में चौथे नंबर पर हैं। जबकि तीसरे नंबर पर टीएमसी से बीजेपी में आए मुकुल रॉय का नाम है।

ममता के विकास कार्यों के कायल हैं लोग

खास बात है कि दो बार यानी पिछले दस वर्षों से सीएम बने रहने के बावजूद पश्चिम बंगाल के अधिकांश लोग ममता बनर्जी के कामकाज से नाराज़ नहीं हैं। सर्वे में शामिल महज 31 फीसदी लोग ही ऐसे हैं, जिन्होंने ममता बनर्जी के काम से नाराज़ होने की बात कही है। जबकि सर्वे में शामिल 49.7 फीसदी यानी करीब-करीब आधे लोगों ने कहा कि वह ममता के कार्यों से खुश हैं। 

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हालांकि ममता बनर्जी को लोगों के बीच जो बढ़त मिली हुई है, वो उनकी पार्टी को हासिल नहीं है। सर्वे में शामिल 41.6 फीसदी लोगों ने बीजेपी का समर्थन किया है, जबकि 36.9 फीसदी लोगों ने तृणमूल का साथ दिया है। वैसे तो पार्टी के तौर पर बीजेपी को टीएमसी से ज्यादा समर्थन मिलना किसी बड़े उलटफेर का संकेत भी माना जा सकता है, लेकिन राज्य में अगर कोई मुख्यमंत्री पद का मज़बूत उम्मीदवार मौजूद हो तो आमतौर पर चुनाव उसी के इर्दगिर्द लड़ा जाता है। ऐसे में ममता बनर्जी को मिल रहा ज़बरदस्त समर्थन उनकी पार्टी के प्रति लोगों की उदासीनता पर भारी पड़ सकता है। खासतौर पर इसलिए, क्योंकि बीजेपी राज्य के लोगों के सामने मुख्यमंत्री के तौर पर कोई चेहरा पेश करने की स्थिति में नहीं है। इसका एक मतलब ये भी निकलता है कि लोग स्थानीय तौर पर टीएमसी के विधायकों या दूसरे नेताओं से खुश नहीं हैं, लेकिन मुख्यमंत्री से उन्हें शिकायत नहीं हैं। इस सर्वे में पार्टी के तौर पर कांग्रेस को तीसरे और लेफ्ट को चौथे स्थान पर दिखाया गया है।