नई दिल्ली। भारत की सुपरसोनिक मिसाइल ने अपने परीक्षण का एक और चरण सफलतापूर्वक पार कर लिया। चेन्नई में नेवी के स्टील्थ डिस्ट्रॉयर आईएनएस चेन्नई से इसे फायर किया गया। स्टील्थ डिस्ट्रॉयर जहाज़ अमूमन राडार की पकड़ में नहीं आते हैं। रविवार को हुए इस सफल परीक्षण में ब्रह्मोस मिसाइल ने अरब महासागर में अपने टारगेट पर सटीक निशाना लगाया। 

क्या है ब्रह्मोस की खासियत 
यह मिसाइल ध्वनि की रफ्तार से तीन गुना तेजी से वार कर सकती है। इसकी रफ्तार करीब 3457 किमी प्रति घंटा है। यह 400 किमी की रेंज तक निशाना लगा सकती है। सुपरसॉनिक ब्रह्मोस मिसाइल को जमीन, जहाज और फाइटर जेट से दागा जा सकता है। इसके पहले एक्सटेंडेड वर्जन का परीक्षण 11 मार्च 2017 को किया गया था। 

ब्रह्मोस नाम कैसे पड़ा 
दरअसल इस मिसाइल को भारत और रूस ने संयुक्त तौर पर तैयार किया है। लिहाज़ा ब्रह्मोस का नाम दो नदियों के नाम से लिया गया है, इसमें भारत की ब्रह्मपुत्र नदी का ‘ब्रह्म’ और रूस की मोस्क्वा नदी से ‘मोस’ लिया गया है।