नई दिल्ली। संसद के मानसून सत्र के दौरान कांग्रेस पार्टी उन विधेयकों का पुरजोर विरोध करेगी, जो कृषि से संबंधित तीन अध्यादेशों की जगह लेने के लिए प्रस्तावित हैं। एक विधेयक में सहकारिता बैंकों को रिजर्व बैंक के अधीन लाने का भी प्रावधान है। कांग्रेस पार्टी ने इन विधेयकों को किसान और कृषि विरोधी बताया है।



पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम नरेश ने कहा कि तीन में से दो अध्यादेश कृषि विपणन से जुड़े हुए हैं और एक जरूरी वस्तुओं के कानून से जुड़ा हुआ है। उन्होंने बताया कि पंजाब,राजस्थान और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्रियों के अलावा हरियाणा के मुख्यमंत्री भी इस संबंध में प्रधानमंत्री को पत्र लिख चुके हैं। पंजाब विधानसभा में तो इन अध्यादेशों के खिलाफ प्रस्ताव भी पारित हो चुका है।





जयराम नरेश ने कहा कि इन अध्यादेशों से कॉन्ट्रैक्ट और कॉर्पोरेट खेती को बढ़ावा मिलेगा। इससे एक तरफ राज्यों की आय कम होगी, वहीं दूसरी तरफ एमएसपी के साथ खाद्य सुरक्षा को भी नुकसान पहुंचेगा। वहीं बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट को लेकर जयराम नरेश ने कहा कि सहकारिता बैंक केवल राज्य सरकारों के नियंत्रण में होते हैं, केंद्र का उनसे कोई लेना देना नहीं होता। उन्होंने कहा कि यह कानून बन जाने पर सारी शक्तियां केंद्र के पास चली जाएंगी। कांग्रेस पार्टी विकेंद्रीकरण का समर्थन करती है। 





जयराम नरेश ने यह भी कहा कि यह कानून बनने के बाद केंद्र सरकार सहकारिता बैंकों के ढांचे में परिवर्तन कर सकती है। इस तरह से सहकारिता बैंकों का नियंत्रण उनके पास जाने की आशंका है जो किसान नहीं हैं।उन्होंने कहा कि ये सभी अध्यादेश संघवाद के खिलाफ हैं। जयराम नरेश ने कहा कि कांग्रेस पार्टी दूसरी पार्टियों के साथ बातचीत कर रही है और संसद में अपनी आवाज उठाएगी।