कांग्रेस ने नई संसद को बताया भूलभुलैया, कहा- इसे मोदी मल्टीप्लेक्स या मोदी मैरियट कहा जाना चाहिए

कांग्रेस ने नए संसद भवन के डिजाइन को लेकर शनिवार को सवाल खड़े करते हुए दावा किया कि दोनों सदनों के बीच समन्वय खत्म हो गया है और यहां घुटन महसूस होती है।

Updated: Sep 24, 2023, 11:44 AM IST

नई दिल्ली। कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख जयराम रमेश ने नए संसद भवन के निर्माण को लेकर केंद्र पर निशाना साधा है। उन्होंने नई संसद को भूलभुलैया करार देते हुए कहा कि दोनों सदनों के बीच समन्वय खत्म हो गया है और यहां घुटन महसूस होती है।जयराम रमेश ने कहा है कि इसे संसद के बजाए मोदी मल्टीप्लेक्स या मोदी मैरियट कहना चाहिए।

जयराम रमेश ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, 'इतने भव्य प्रचार-प्रसार के साथ उद्घाटन किया गया नया संसद भवन प्रधानमंत्री के उद्देश्यों को स्पष्ट रूप से दिखाता है। इसे मोदी मल्टीप्लेक्स या मोदी मैरियट कहा जाना चाहिए। चार दिनों में मैंने देखा कि दोनों सदनों के अंदर और लॉबी में बातचीत एवं संवाद ख़त्म हो गई है। यदि वास्तुकला लोकतंत्र को ख़त्म कर सकती, तो संविधान को फिर से लिखे बिना ही प्रधानमंत्री इसमें सफल हो गए हैं।'

जयराम रमेश ने कहा कि, 'हॉल के कंपैक्ट (सुगठित) नहीं होने की वजह से एक-दूसरे को देखने के लिए दूरबीन की आवश्यकता महसूस होती है। पुराने संसद भवन की कई विशेषताएं थीं। एक विशेषता यह भी थी कि वहां बातचीत और संवाद की अच्छी सुविधा थी। दोनों सदनों, सेंट्रल हॉल और गलियारों के बीच आना-जाना आसान था। नया भवन संसद के संचालन को सफ़ल बनाने के लिए आवश्यक जुड़ाव को कमज़ोर करता है। दोनों सदनों के बीच आसानी से होने वाला समन्वय अब अत्यधिक कठिन हो गया है। अगर आप पुरानी इमारत में खो जाते तो आपको अपना रास्ता फ़िर से मिल जाता क्योंकि वह गोलाकार है। नई इमारत में यदि आप रास्ता भूल जाते हैं, तो भूलभुलैया में खो जाएंगे। पुरानी इमारत के अंदर और परिसर में खुलेपन का एहसास होता है, जबकि नई इमारत में घुटन महसूस होती है।'

जयराम रमेश लिखते हैं कि, 'अब संसद में भ्रमण का आनंद गायब हो गया है। मैं पुरानी बिल्डिंग में जाने के लिए उत्सुक रहता था। नया कॉम्प्लेक्स दर्दनाक और पीड़ा देने वाला है। मुझे यकीन है कि पार्टी लाइन्स से परे मेरे कई सहयोगी भी ऐसा ही महसूस करते होंगे। मैंने सचिवालय के कर्मचारियों से यह भी सुना है कि नए भवन के डिज़ाइन में उन्हें काम में मदद करने के लिए आवश्यक विभिन्न व्यावहारिकताओं पर विचार नहीं किया गया है। ऐसा तब होता है जब भवन का उपयोग करने वाले लोगों के साथ ठीक से परामर्श नहीं किया जाता है।'

जयराम रमेश ने यह भी लिखा कि 2024 में सत्ता परिवर्तन के बाद शायद नए संसद भवन का बेहतर उपयोग हो सकेगा। उन्होंने इस पोस्ट के माध्यम से इशारा किया है कि यदि 2024 में कांग्रेस की सरकार आती है तो सांसद की कार्यवाही पुराने संसद भवन में होगी और नए भवन का उपयोग किसी और कार्य में लिया जाएगा।