नई दिल्ली। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने किसानों के मसले पर केंद्र सरकार को जमकर खरी खोटी सुनाई है। राहुल गांधी ने आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों को मुआवजा देने की मांग करते हुए कहा है की यदि मोदी सरकार के पास उनके डिटेल्स नहीं है तो हमसे लें। उन्होंने केंद्र पर निशाना साधते हुए कहा है कि उनके पास सिर्फ उद्योगपतियों के नंबर होते हैं।



कांग्रेस नेता ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि, 'कुछ दिन पहले संसद में एक सवाल पूछा गया था कि सरकार 700 से ज्यादा शहीद किसानों को मुआवजा देगी या नहीं? इसका जवाब मिला था कि हिन्दुस्तान की सरकार के पास शहीद किसानों का कोई आंकड़ा नहीं है। शहीद किसानों की लिस्ट हम दे देते हैं, सरकार उन्हें मुआवज़ा दे।' 





राहुल गांधी ने आगे कहा कि, 'पंजाब की सरकार के पास 403 नाम हैं, उनको हमने 5 लाख तक का मुआवजा दिया है और 152 लोगों को हमने नौकरी दी है और बाकी लोगों को भी हम नौकरी देने वाले हैं। आप हमारे किसानों को थोडा सा भी मुआवजा नहीं देना चाहते हो जब किसान शहीद हुए तो संसद में आपने 2 मिनट का भी मौन नहीं रखा। मैं यही कहना चाहता हूँ कि ये गलत है सरकार के पास रिकॉर्ड है।'



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कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि सरकार के पास न तो कोरोना में कितने लोग मरे इसके रिकॉर्ड हैं और न ही न ही आंदोलन कितने किसानों की मृत्यु हुई इसका भी सरकार के पास कोई रिकॉर्ड नहीं है। सरकार में बैठे हुए लोगों की नजर में इंसानों की जिंदगी का कोई मोल है। अगर सरकार को लोगों से सरोकार होता तो हालात इतने खराब नहीं होते। सरकार सत्ता के नशे में पूरी तरह से चूर है।'





राहुल गांधी ने आगे कहा कि खुद पीएम ने जब माफी मांग ली है तो फिर यह एक तरह से गलती मांगने जैसा है और उस गलती के लिए सरकार को मुआवजा देना चाहिए। प्रधानमंत्री मोदी ने यदि माफी मांगी है तो फिर उन्होंने किससे माफी मांगी है। एक तरफ वह कहते हैं कि हम माफी मांगते हैं और दूसरी तरफ कहते हैं कि हमें नहीं पता है कि किसकी मौत हुई है। पीएम मोदी की माफी तब तक अधूरी है, जब तक किसानों की मांगें पूरी नहीं हो जाती हैं। पीएम मोदी को सदन में बताना चाहिए कि वह प्रायश्चित कैसे करेंगे?'



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राहुल गांधी के मुताबिक 'जब सरकार के पूंजीपति दोस्तों की बात होती है तो फिर उनके पास पैसे की कोई कमी नहीं होती। लेकिन जब गरीब या किसान की मदद करने की बात आती है तो फिर पैसों की कमी की बात की जाती है।' बता दें की संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान विपक्ष ने जब किसानों के लिए मुआवजे की मांग की तो केंद्र सरकार ने यह कहते हुए पल्ला झाड़ लिया कि हमारे पास मृतक किसानों की कोई सूची ही नहीं है।