गोबर चिकित्सा से ठीक नहीं होता कोरोना, उल्टे हो सकते हैं ब्लैक फंगस के शिकार

जानवरों के गोबर में मौजूद होते हैं म्यूकोरमाइसिटीज़, क्या गोबर-गौमूत्र के इस्तेमाल से बढ़ने लगे देश में ब्लैक फंगस, अमेरिकी डॉक्टर ने दिया संकेत

Updated: May 18, 2021, 10:24 AM IST

Photo Courtesy: The Indian Express
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नई दिल्ली। हाल ही में गुजरात का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा था, जिसमें देखा जा सकता है कि कुछ लोग गाय के गोबर और गौमूत्र अपने शरीर में लगाए हुए हैं। उनका मानना है कि गोबर से कोरोना ठीक होता है। हालांकि, डॉक्टरों का कहना है कि गोबर के प्रयोग से कोरोना ठीक नहीं होता, उल्टे ब्लैक फंगस के चपेट में आने का डर रहता है।

बीते 12 मई को रॉयटर्स ने अपने एक वीडियो रिपोर्ट में बताया था कि गुजरात में कुछ लोग ‘हफ्ते में एक बार गौशालाओं में जाकर अपने शरीर पर गौमूत्र तथा गोबर का लेप करते हैं। रिपोर्ट में एक फार्मा कंपनी के मैनेजर गौतम मणिलाल ने बताया था कि गौशाला में डॉक्टर्स तक आते हैं। डॉक्टरों का भी मानना है कि काउ डंग थेरेपी यानी गोबर चिकिस्ता से इम्युनिटी बढ़ती है, इसका रेग्युलर लेप लगाने के बाद वे कोरोना मरीजों के सामने बेखौफ जा सकते हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक अहमदाबाद के श्री स्वामीनारायण गुरुकुल विश्वविद्या प्रतिष्ठानम गौशाला में लोग गाय के गोबर को गोमूत्र में मिलाकर लेप बनाते हैं और उसे शरीर पर लगाते हैं। इसके बाद लेप के सुख जाने तक योगाभ्यास करते हैं और बाद में दूध से लेप को धो दिया जाता है। अहमदाबाद देश के उन शहरों में आता है जो ब्लैक फंगस बीमारी से सबसे अधिक प्रभावित है।

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इस वीडियो के सामने आने के बाद गुजरात के डॉक्टरों ने चेतावनी जारी कर इस तरह के प्रयासों को इस्तेमाल न करने का सुझाव दिया था। अमेरिका के मशहूर डॉक्टर फहीम यूनुस  कोविड-19 वायरस से जुड़े मामलों में विश्वभर में एक अहम आवाज बनकर उभरे हैं। फाहिम ने संकेत दिया है कि भारत में ब्लैक फंगस के कहर का कारण कोरोना वायरस नहीं बल्कि गोबर और गोमूत्र का इस्तेमाल करने से यह फैला है।

दरअसल, जानवरों के गोबर में, म्यूकोरमाइसिटीज़ मौजूद होते हैं। म्यूकोरमाइसिटीज़ ही वह फंगस है जिससे ब्लैक फंगल इंफेक्शन जैसा खतरनाक और जानलेवा बीमारी के आप चपेट में आते हैं। डॉक्टरों का कहना है कि गोबर-गोमूत्र का कोरोना के इलाज में इस्तेमाल संभावित रूप से ‘ब्लैक फंगस’ या म्यूकोरमाइकोसिस के मामलों की संख्या में इज़ाफा कर सकता है। वहीं इस बात के भी कोई वैज्ञानिक साक्ष्य नहीं हैं कि गोबर या गोमूत्र से इम्यूनिटी बढ़ती है।

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शालीमार बाग स्थित फोर्टिस हॉस्पिटल के पल्मोनोलॉजी विभाग के डायरेक्टर डॉ विकास मौर्य ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि गाय के गोबर से कोरोना ठीक हो ही नहीं सकता। उन्होंने कहा, 'यह एक भ्रामक धारणा है। कृप्या इस तरह के झूठे झांसे में न आएं। कोरोना से निपटने का एकमात्र तरीका टीकाकरण, मास्क पहनना, सोशल डिस्टेंसिंग रखना और हाथ धोना है। गोबर का प्रयोग आपको ब्लैक फंगस का शिकार बना सकता है और उससे जान भी जा सकती है।'