नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने Organic Cotton की खेती में बड़े स्तर पर घोटाले का आरोप लगाया है। सिंह ने कहा कि मध्य प्रदेश का निमाड़ इलाका जो ऑर्गेनिक फॉर्मिंग का हब है वहां कपास की खेती में 2.1 लाख करोड़ का घोटाला किया गया। इस घोटाले के तहत ऑर्गेनिक कपास के नाम पर Inorganic Cotton का सप्लाई विदेशों में किया गया और तीन गुना तक मुनाफा कमाया गया।
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने शनिवार को राजधानी दिल्ली स्थित AICC मुख्यालय में प्रेस को संबोधित करते हुए इस महाघोटाले का उल्लेख किया। सिंह ने प्रेस वार्ता में कहा कि देश में ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने के लिए तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेई की सरकार ने विशेष प्रयास किया था। तब सिंह मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री थे और MP इसपर काम करने वाला देश का पहला राज्य था। सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा जस्टिस लोढ़ा के नेतृत्व में एक कमेटी गठित हुई थी, जिन्होंने ऑर्गेनिक फार्मिंग को बढ़ावा देने की योजना बनाई थी। इस कमेटी ने मध्य प्रदेश सरकार को इस क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य के लिए प्रोत्साहित भी किया था।
दिग्विजय सिंह ने प्रेस वार्ता में बताया कि देश में लोगों को ऑर्गेनिक खेती के लिए प्रोत्साहित करने की नियत से Agricultural and Processed Food Products Export Development Authority (APEDA) का गठन किया गया था। इसके साथ ही NPOP प्रोग्राम भी शुरू किया गया। इसमें ऑर्गेनिक खेती करने वाले किसानों का समूह बनाया गया गया और उन्हें केंद्र सरकार ने 3 साल तक 50,000 रुपए प्रति हेक्टेयर देने का प्रस्ताव लागू किया। इसके तहत ही, मध्य प्रदेश का मालवा और निमाड़ क्षेत्र ऑर्गेनिक खेती का हब बना।
सिंह ने बताया कि ऑर्गेनिक खेती की प्रक्रिया में सर्टिफिकेशन काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे फ़ूड प्रोडक्ट का दाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ जाता है। फ़ूड प्रोडक्ट को प्रमाणित करने के लिए कई सर्टिफिकेशन एजेंसियां बनाईं और 25 से 500 किसानों का समूह बनाया, फिर इसे पूरे देश में लागू किया गया। पूरे देश में 6046 समूह हैं, जिन्हें ICS कहते हैं और करीब 35 सर्टिफिकेशन एजेंसियां हैं। ICS के सत्यापन के बाद एक ट्रांजैक्शन सर्टिफिकेट जारी होता है, जो उस ICS को जैविक घोषित करता है। यानी ट्रांजैक्शन सर्टिफिकेट से ही मान्यता प्राप्त होती है।
राज्यसभा सांसद ने घोटाले का उल्लेख करते हुए कहा, 'इसमें समस्या है कि अधिकांश ICS के अंतर्गत ज्यादातर किसान न तो जैविक कपास उगा रहे हैं और न ही उन्हें प्रमाणित प्रणाली में शामिल होने की जानकारी है। इसका मतलब है कि ICS समूह ने लेन-देन प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए किसानों के नाम गलत तरीके से शामिल किए हैं। यानी कि जो व्यापारी हैं, उन्होंने स्थानीय लोगों से मिलकर असत्य प्रमाणीकरण का धंधा शुरू किया और बड़े पैमाने पर ट्रांसफर सर्टिफिकेट लेकर विदेशी बाजार में बेच देते थे।'
पूर्व मुख्यमंत्री ने दावा किया कि ये घोटाला 2.1 लाख करोड़ रुपए का है। उन्होंने कहा कि घोटाले का ये आंकड़ा ज्यादा ही हो सकता है, कम नहीं होगा, क्योंकि करीब 24 लाख किसान 6 हजार ICS के अंदर रजिस्टर्ड हैं। हमने 12 लाख लोगों के अनुसार ही इस घोटाले का अनुमान निकाला है। सिंह ने बताया कि सरकार किसानों को 3 साल के लिए 50 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर का अनुदान देती है। ये जिम्मेदारी राज्य सरकार की है कि किसानों को ये अनुदान मिले, लेकिन किसी को भी ये अनुदान नहीं मिला है, इसमें किसानों के फर्जी नाम जोड़े गए हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने अनुमानित तौर पर प्रति किसान 2.5 हेक्टेयर जमीन मानी है। पिछले 10 साल से ये चल रहा है। यानी पिछले 10 साल के अंदर करीब 12 लाख किसानों द्वारा कपास की जैविक खेती का उत्पादन औसतन 7 क्विंटल प्रति एकड़ आता है। उसकी कीमत 4-6 हजार प्रति क्विंटल होती है। इससे सालाना कमाई करीब 87,500 रुपए आती है। यानी 6 हजार ICS के 24 लाख किसानों में से 12 लाख किसान ठगे गए हैं। उन्होंने बताया कि राज्य में जब दो व्यावसायिक संगठनों पर छापे पड़े तो उसमें 750 करोड़ रुपए GST की चोरी पकड़ी गई है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने बताया कि उन्होंने 27 अगस्त 2024 को पीएम मोदी को पत्र लिखकर उन्हें इस घोटाले से अवगत कराया था। इस पत्र का जवाब केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयला ने 28 नवंबर 2024 को दिया जिसमें उन्होंने स्वीकारा कि जैविक कपास के प्रमाणीकरण में अनियमितताएं हुईं हैं। गोयल ने सिंह को संबोधित पत्र में यह भी कहा कि इसकी जांच की गई और एक प्रमाणन इकाई को एक वर्ष की एफडी के लिए निलंबित किया गया। साथ ही इस मुद्दे पर इंदौर पुलिस आयुक्त और धार एसपी को कार्रवाई करने का निर्देश भी दिया गया है।राज्यसभा में भी पीयूष गोयला ने माना कि इसमें गड़बड़ी हुई है।
सिंह का आरोप है कि इस मामले में बिना ठीक से जांच किए केवल एक समूह पर कार्रवाई हुई है, जिसे सिक्किम से सर्टिफिकेट दिया था। यानी सिक्किम की प्रमाणीकरण एजेंसी ने मध्य प्रदेश के खरगोन में सर्टिफिकेट दिया था। सिंह का आरोप है कि इस तरह की 51 कंपनियां फर्जी काम कर रही थी और उन्होंने हजारों करोड़ का मुनाफा कमाया है। वे इतने बड़े हो गए हैं कि विदेशों में भी कंपनियां खोल ली है और इतना ही नहीं कई लोगों ने तो दूसरे देशों की नागरिकता तक ले ली है।
दिग्विजय सिंह ने बताया कि इस मामले में ग्लोबल ऑर्गेनिक टेक्सटाइल स्टैंडर्ड ने 11 कंपनियों का Major accreditation certificate साल 2020 में कैंसिल कर दिया। साल 2021 में USA के एग्रीकल्चर विभाग ने और यूरोपियन यूनियन ने 5 भारतीय प्रमाणकर्ताओं की मान्यता समाप्त कर दी। इतना ही नहीं, न्यूयॉर्क टाइम में खबर छपी कि भारत के 80% जैविक कपास निर्यात पर गलत लेबल लगा है। यानी एक तरह से इंटरनेशनल मार्केट में भारत की विश्वसनीयता समाप्त हो गई।
सिंह ने पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि मोदी जी कहते हैं "न खाऊंगा, न खाने दूंगा", लेकिन अब ये हो गया है खूब खाओ, खूब खिलाओ और पकड़े जाओग तो हम हैं न। उन्होंने कहा कि मुझे नहीं पता इस महाघोटाले में केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान का कितना हिस्सा है, लेकिन साफ बात है कि भाजपा के मंत्रियों के कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि बिगड़ रही है। इंटरनेशनल मार्केट में अब भारत की ऑर्गेनिक फॉर्मिंग का लोग विश्वास नहीं कर रहे। सिंह ने कहा कि ये इतना बड़ा स्कैम है कि सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के जज के नेतृत्व में CBI द्वारा स्पेशल इन्वेस्टिगेटिंग टीम गठित की जानी चाहिए। क्योंकि ये एक इंटरनेशनल स्कैम है।