श्रीनगर। केंद्र शासित राज्य जम्मू कश्मीर में फिलहाल विधानसभा चुनाव होने के कोई आसार नहीं हैं। केंद्र सरकार ने राज्य में अपनी पकड़ और मजबूत करने के लिए पंचायती राज कानून में संशोधन कर दिया है। इसके तहत अब हर जिले को 14 चुनाव क्षेत्रों में बांट दिया जाएगा। यहां जीतने वाले प्रतिनिधि आपस में चर्चा कर जिला विकास परिषद का अध्यक्ष और उपाध्यक्ष चुनेंगे। यह जिला परिषद पूर्ववर्ती विकास बोर्ड की जगह लेगा। इसके सदस्य पूरी तरह से नए होंगे। पहले विकास बोर्ड का नेतृत्व कोई कैबिनेट या राज्य मंत्री करता था। तब इसमें विधायक और सांसद भी हिस्सा लेते थे। इस विकास परिषद का अधिकार क्षेत्र नगरपालिकाओं को छोड़कर सब जगह होगा और इसे खुद के संसाधन मिलेंगे। 

इससे पहले जिलों में विकास का काम विकास बोर्ड के जिम्मे होता था। विकास बोर्ड को राज्य सरकार और केंद्र सरकार की योजनाओं से फंड मिलता था। बतााया जा रहा है कि नए विकास परिषदों के चुनाव के लिए अगले दस दिन के भीतर नोटिफिकेशन जारी किया जा सकता है। माना जा रहा है कि केंद्र सरकार के इस कदम से राज्य में सक्रिय सियासी ताकतें खत्म हो जाएंगी। 

 केंद्र सरकार ने यह कदम तब उठाया है जब राज्य के लगभग सभी प्रमुख नेता रिहा हो चुके हैं और उन्होंने एक साझा मंच बना लिया है। यह साझा मंच अनुच्छेद 370 की बहाली के लिए बनाया गया है। ऐसे में केंद्र सरकार इन दलों को कोई भी मौका देने के मूड में नहीं है। केंद्र सरकार अब राज्य में जिला विकास परिषद का मॉडल खड़ा करना चाहती है, जिसके सदस्य सीधे तौर पर जनता द्वारा चुने जाएंगे। आशंका है कि इसके तहत राज्य सरकार की भूमिका थत्म हो जाएगी। पीडीपी के नेता ने इसे जम्मू कश्मीर में राजनीतिक प्रक्रिया के अंत की संज्ञा दी है।