दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली की हवा नवंबर में सबसे ज्यादा प्रदूषित रही , इस प्रदूषण ने पिछले 6 साल के गंभीर प्रदूषण को पछाड़ दिया है। नवंबर के 11 दिनों में AQI सबसे खराब स्तर पर था, जो कि 400 से ज्यादा दर्ज किया गया। वहीं 17 दिनों तक यह खराब स्तर पर दर्ज किया गया। पराली जलाने और दिवाली के पटाखों की वजह से इस महीने के किसी भी दिन 200 से कम वायु गुणवत्ता दर्ज नहीं की गई।

इस महीने बड़ी संख्या में लोगों को सांस संबंधी परेशानियों की वजह से अस्पतालों के चक्कर काटने पड़े। यहां वायु प्रदूषण के चलते लोगों का सांस लेना दूभर हो गया है, नवंबर में पिछले  6 साल के प्रदूषण का रिकॉर्ड तोड़ा है। नवंबर में किसी भी दिन दिल्ली NCR में अच्छी एयर क्वालिटी नहीं मिली। दिल्ली में 11 दिनों हवा बेहद जहरीली दर्ज की गई। AQI वायु गुणवत्ता 400 से ज्यादा ही रिकॉर्ड किया गया। वहीं नवंबर का औसत  376 के अंक पर रहा जिसे पर्यावरण और सेहत दोनों के हिसाब से खतरनाक कहा जाता है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से मिले आंकड़ों के अनुसार दिल्ली में एयर क्वालिटी का 30 दिनों का औसत 376 था, पिछले 6 साल में 2018 में 335, 2016 में 361, 2016 में 374, और 2015 में 358, 2015 में 358 AQI दर्ज किया गया।

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साल 2019 में 7 दिन, 2018 में 5 दिन, 2017 में 7 दिन, 2016 में 10 दिन और 2015 में 6 दिन AQI याने वायु गुणवत्ता सूचकांक 400 से ज्यादा दर्ज किया गया। जबकि इस साल नवंबर में 11 दिनों तक  गंभीर श्रेणी के स्तर तक पहुंचा। इस महीने किसी भी दिन 200 के नीचे AQI नहीं गया, 17 दिनों तक बेहद खराब श्रेणी दर्ज की गई।

जानकारों की माने तो इस साल मॉनसून की वापसी देर से होने की वजह से नवंबर में उत्तर भारत के प्रांतों पंजाब और हरियाणा में देर से पराली जलाई गई। वहीं दिवाली में पटाखों से प्रदूषण के स्तर में इजाफा हुआ। यहीं वजह थी की सरकार ने निर्माण कार्यों पर रोक लगा दी थी, सरकारी और निजी दफ्तरों के कर्मचारियों को घर से काम करने को कहा था, स्कूल कालेज 21 नवंबर तक बंद कर दिए गए थे। लोगों को अपनी गाड़ी की जगह सार्वजनिक वाहन ओर कार पूल करने की सलाह दी गई थी।

वायु गुणवत्ता जब शून्य से 50 के बीच वायुगुणवत्ता को सबसे अच्छा माना जाता है, 51 और 100 संतोषजनक, 101 और 200 मध्यम, 201 और 300 खराब, 301 और 400 बहुत खराब, और 401 और 500 गंभीर की श्रेणी में आता है।  नवंबर महीने के तीसरे सप्ताह के बाद से कटाई ख़त्म होने और बुवाई का वक्त पास आने की वजह से पराली जलाने में कमी आई है। जिसकी वजह से राजधानी के प्रदूषण कमी दर्ज की गई है।