नई दिल्ली। भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों के साथ बातचीत के बारे में जो बयान दिया है, उसका हम सम्मान करते हैं। उनकी इस पहल के लिए हम आभारी हैं, लेकिन दबाव के माहौल में कोई समझौता नहीं हो सकता। एएनआई के मुताबिक राकेश टिकैट ने कहा कि आंदोलन के सिलसिले में गिरफ्तार किए गए लोगों की रिहाई के बाद ही बराबरी के माहौल में एक टेबल पर बैठकर बातचीत हो सकती है। टिकैत ने एक निजी चैनल से वार्ता के दौरान यह भी कहा कि आंदोलन की कवरेज के दौरान गिरफ्तार किए गए पत्रकारों को भी रिहा किया जाए।

इसी बीच ऐसी खबरें भी आई हैं कि सरकार और आंदोलन कर रहे किसानों के बीच अगले दौर की वार्ता 2 फरवरी को होनी है। लेकिन अगर किसान नेता वार्ता से पहले गिरफ्तार लोगों की रिहाई पर ज़ोर देते हैं, तो इसमें बदलाव भी हो सकता है। बहरहाल इस मामले में फिलहाल स्थिति साफ नहीं है।

रविवार को टिकैत ने पीएम मोदी के मन की बात में दिए गए बयान के बारे में पूछे जाने पर कहा 26 जनवरी को लालकिले पर जो कुछ हुआ उसका प्रधानमंत्री को ही नहीं हम सबके लिए भी दुखद घटना है। लेकिन जिस तरह से एक बिरादरी को टार्गेट करके एक षड्यंत्र रचा गया, ये हेराफेरी सरकार को छोड़नी होगी। राकेश टिकैत ने कहा कि जब तक सरकार से सम्मानजनक समझौता नहीं होगा आंदोलन चलता रहेगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की पहल का स्वागत है, लेकिन हम चाहते हैं कि वे गिरफ्तार लोगों को रिहा करके बातचीत के लिए माहौल बनाएं। 

कृषि बिलों पर अमल को डेढ़-दो साल के लिए सस्पेंड करने के सवाल पर टिकैत ने कहा कि कोई भी कंडीशनल समझौता नहीं हो सकता। लेकिन सरकार अगर ठीक नीयत से बात करेगी तो समाधान निकलेगा। ये सिर्फ बिल का सवाल नहीं है, किसान की पगड़ी का सवाल है। ग़रीब की रोटी तिजोरी में बंद हो रही थी, उसका सवाल है।

राकेश टिकैत ने कहा कि प्रधानंमत्री की पहल पर हम चर्चा के लिए तैयार हैं। प्रधानमंत्री हमारे भी हैं। हम उनकी बात का सम्मान करेंगे। लेकिन हम चाहते हैं कि आंदोलन के सिलसिले में गिरफ्तार हमारे लोगों को रिहा किया जाए। एक निजी चैनल से बातचीत में उन्होंने यह भी कहा कि हम किसी को झुकाना नहीं चाहते। हम नहीं चाहते कि पूरी दुनिया में ये हो कि भारत सरकार झुकी। हम न किसान की पगड़ी को झुकने देंगे, न प्रधानमंत्री को, न सरकार को, न संसद को और न कोर्ट को। सबका सम्मान रहेगा।

टिकैत ने कहा कि हम प्रधानमंत्री मोदी की अपील को बेकार नहीं जाने देंगे। हम ऐसा समाधान चाहते हैं, जिसमें सबका सम्मान हो। लेकिन निजी चैनल से बातचीत के दौरान उन्होंने बार-बार यही बात दोहराई कि जब सारे लोग रिहा हो जाएंगे, तभी सरकार के साथ बराबरी से बातचीत होगी और कोई रास्ता निकल पाएगा। 

किसानों और सरकार के बीच आखिरी बैठक 22 जनवरी को हुई थी। बैठक के बाद सरकार ने कहा था कि नए कानूनों में कोई कमी नहीं है। अगर किसान नेता किसी फैसले पर पहुंचते हैं तो हम इस पर बात करने को तैयार हैं। इसके पहले 20 जनवरी को हुई वार्ता के दौरान केंद्र सरकार ने नए कृषि कानूनों को डेढ़ साल तक लागू नहीं करने की पेशकश की थी। जिसे किसानों ने आपस में बातचीत के बाद खारिज कर दिया था।