पश्चिम बंगाल। पश्चिम बंगाल और बिहार के किशनगंज में शुक्रवार सुबह भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। रिक्टर स्केल पर पर इसकी तीव्रता 5.5–5.6 दर्ज की गई। कंपन शुक्रवार सुबह करीब 10 बजे के आसपास महसूस हुआ। भूकंप का केंद्र बांग्लादेश की राजधानी ढाका से लगभग 42 किलोमीटर दूर नर्सिंगदी क्षेत्र में बताया गया है। 10 किलोमीटर की गहराई से आए इन झटकों ने सतह पर काफी असर डाला।
झटके अचानक आए और कुछ ही सेकंड में थम भी गए लेकिन इस दौरान लोग इतनी दहशत में आ गए कि आधे से ज्यादा लोग गहरी नींद में होने के बावजूद तुरंत घरों से बाहर निकल आए। कई लोगों ने बताया कि पंखे, दरवाजे और बर्तन जोर से हिलने लगे थे और अफरा-तफरी का माहौल बन गया था। एक बार कंपन रुकने के बाद दूसरी बार झटके महसूस नहीं हुए जिससे लोगों ने राहत की सांस ली। अब तक उपलब्ध जानकारी के अनुसार किसी भी तरह की जनहानि या नुकसान की खबर सामने नहीं आई है। स्थानीय प्रशासन हालात पर लगातार नजर रखे हुए है।
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वैज्ञानिकों के अनुसार भूकंप धरती के भीतर मौजूद बड़ी टेक्टॉनिक प्लेटों की हलचल की वजह से आता है। धरती की बाहरी परत कई प्लेटों में बंटी है जो लगातार धीमी रफ्तार से आपस में खिसकती रहती हैं। कई बार ये प्लेटें अपने किनारों पर रगड़ खाते हुए अटक जाती हैं और तनाव जमा होने लगता है। जब यह तनाव घर्षण की सीमा पार कर जाता है तो ऊर्जा अचानक लहरों के रूप में बाहर निकलती है और हमें जमीन हिलती महसूस होती है। यही कंपन भूकंप कहलाता है।
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भूकंप के दौरान सुरक्षा बेहद जरूरी है। ऐसी स्थिति में संयम बनाए रखना सबसे पहला कदम है। यदि आप किसी ऊंची इमारत में निचले फ्लोर पर हैं तो जल्द से जल्द खुले और सुरक्षित स्थान की ओर जाएं। अगर बाहर निकलना संभव न हो तो कमरे के बीचों-बीच दीवार के सहारे खड़े हों या किसी मजबूत टेबल के नीचे जाकर सिर और गर्दन को ढककर बैठें। खिड़कियों, बड़े फर्नीचर, फ्रिज और अलमारी जैसी चीजों से दूर रहें क्योंकि झटकों के दौरान इनके गिरने का खतरा रहता है। अगर सीलिंग टूटने लगे या आसपास निर्माण गिरने के संकेत दिखाई दें तो अपने नाक और मुंह को कपड़े या स्कार्फ से ढक लें। सड़क पर होने की स्थिति में इमारतों, पुलों और बिजली के खंभों से दूर खुले इलाके की ओर बढ़ें। यदि वाहन में सफर कर रहे हों तो स्पीड कम करके सड़क किनारे गाड़ी रोक दें और झटके खत्म होने तक अंदर ही रहें।
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