कोलकाता। 'तेरा मुझसे है पहले का नाता कोई, यूं हीं नहीं दिल लुभाता कोई' दम तोड़ती मां को आखिरी कॉल पर यह गाना सुनाने वाले बेटे की बेबसी की कहानी पिछले हफ्ते सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुई थी। बेटे की बेबसी की कहानी सुनकर सोशल मीडिया यूजर्स बेहद भावुक हो गए थे। कोलकाता के उस बेटे ने मां की मौत के बाद इसी गाने को गाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी है। 

सोहम चटर्जी ने अपने इंस्टाग्राम पोस्ट में लिखा कि, 'संगीत एक ऐसी चीज है जो मुझे मेरी मां से बांधे रखती थी। इसके जरिए हम एक दूसरे के प्रति अपना प्यार और सम्मान ज़ाहिर करते थे। 'तेरा मुझसे है पहले का नाता कोई' गीत हमारा है और हमेशा रहेगा। मां जानती थी या, आज भी जानती है, कौन जानता है। मैं तुमसे प्यार करता हूं मां। मगर मां के बिना यहां सबकुछ बेहद कठिन है।' इसी के साथ सोहम ने इस गीत को गाते हुए अपना वीडियो भी पोस्ट किया है, जिसे देखकर सोशल मीडिया यूजर्स अपने आंसुओं को रोक नहीं पा रहे हैं। 

 

फेसबुक पर एक पोस्ट में सोहम ने विस्तार से बताया है कि यह गीत कैसे दोनों मां-बेटे के लिए स्पेशल बन गया था। सोहम लिखते हैं कि, 'जब भी मैं मां से नाराज़ होता था, वह मेरे लिए ये गीत गाती थी। मैं मां से इसे सुनकर सोता था। हर जगह छोटे कंसर्ट या डिनर पार्टी में जब भी हमें गाने के लिए कहा जाता था, मैं और मेरी मां साथ में यही गाना गाते थे। मां मेरी सबसे बड़ी आलोचक, प्रेरणा और म्यूजिक पार्टनर थी। मैने मां को यह गीत सुनाकर वापस बुलाने का प्रयास किया था, लेकिन भाग्य के सामने हम विवश हैं।'

दरअसल, पिछले हफ्ते सोहम चटर्जी का वीडियो ट्विटर पर तेजी से वायरल हो रहा था, जिसमें दम तोड़ती मां सुमित्रा चटर्जी को देख उनके के पास कोई रास्ता नहीं था सिवाय आखिरी वक्त में उन्हें उनका पसंदीदा गाना सुनाने के। ट्विटर पर एक्टिव रहने वाली डॉक्टर दीपशिखा घोष ने यह वाकया साझा किया था। दीपशिखा ने ट्वीट किया, 'आज अपनी शिफ्ट खत्म होने से पहले एक कोविड पीड़ित महिला जो अपनी आखिरी सांसें गिन रही थीं, उनके बेटे को कॉल किया। हम अपने हॉस्पिटल में इस तरह के लोगों के लिए ये चीज़ें आमतौर पर करते हैं, ताकि किसी की आखिरी इच्छा पूरी की जा सके। महिला के बेटे ने मुझसे कुछ मिनट मांगे और वीडियो कॉल पर अपनी मरती हुई मां को एक गाना गाकर सुनाया।'

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डॉक्टर दीपशिखा ने आगे लिखा, 'लड़के ने अपनी मां को देखते हुए 'तेरा मुझसे है पहले का नाता कोई' गाना गाया। मैं फोन पकड़े वहीं खड़ी रही और उसकी मां और उसे गाते हुए देखती रही। आसपास की नर्सें चुपचाप आकर खड़ी हो गईं। गाना गाते-गाते लड़का पूरी तरह से टूट चुका था, उसके जुबान लड़खड़ाने लगे, हालांकि उसने खुद को संभालते हुए गाना पूरा किया। फिर मुझसे अपनी मां के बारे में पूछा और शुक्रिया बोकलर फोन रख दिया। फोन कटने के बाद मैं और नर्सें वहीं खड़े रहे। हमारी आंखें नम हो चुकी थीं।'

सोहम के इस बेबसी की कहानी सुनकर लोग भावुक हो गए थे। कोरोना महामारी ने सोहम जैसे कई लोगों से उनके अपनों को छीन लिया है। आने वाले कुछ महीनों में हमारा देश भले ही संक्रमण पर काबू पा ले, लेकिन इसने जो लोगों के दिलों में जख्म दिए हैं, उन्हें भरने में दशकों लग जाएंगे। इस महामारी का सबसे बड़ा दुख ये है कि अंतिम समय में आप अपने प्रियजनों को ठीक से विदा भी नहीं कर सकते। आखिरी सांसें थमने तक उनका हाथ पकड़कर साथ होने का एहसास भी नहीं करा सकते।