आजमगढ़। उत्तर प्रदेश पुलिस की अमानवीय व्यवहार दुनियाभर में सुर्खियां बटोर रही है। गोरखपुर में व्यवसायी की पीट-पीटकर हत्या से लेकर लखीमपुर में रसूखदार हत्यारोपी को पकडने में ढीला रवैया दिखा यूपी पुलिस चौतरफा फजीहत झेल रही है। बावजूद वहां पुलिस की कार्यशैली में कोई परिवर्तन होता नहीं दिख रहा है। यूपी के आजमगढ़ से एक ऐसा ही हतप्रभ करने वाला मामला सामने आया है। 



दरअसल, बीते दिनों आजमगढ़ के रौनापार थाना इलाके में एक 8 साल की मासूम बच्ची के साथ दरिंदों ने हैवानियत की सारी हदें पार कर दी। आरोपियों ने मासूम के साथ बलात्कार करने के बाद उसे घायल अवस्था में सड़क पर फेंक दिया। इस घटना के बाद मासूम को बचाया नहीं जा सका और इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। बताया जा रहा है कि पुलिस इस मामले में एफआईआर तक नहीं कर रही थी।



यह भी पढ़ें: साहब खाद दिला दो... चल हट्ट तू राष्ट्रपति है क्या, लाचार अन्नदाता को BJP मंत्री ने दुत्कारा



बेटी को इंसाफ दिलाने के लिए पीड़ित परिवार एसपी सुधीर कुमार सिंह के पास पहुंचे तो उन्हें न सिर्फ गालियां सुननी पड़ी बल्कि एसपी ने थप्पड़ भी जड़ा। घटना का एक वीडियो भी सामने आया है जिसमे एसपी बोल रहे हैं, 'इतना मार मारूंगा "साले"... ठीक कर दूंगा तुम्हें... "हरामखोर"। इतना कहने के बाद एसपी एक युवक की ओर झपटते हैं। इस दौरान कुछ महिलाएं साहब-साहब कहकर छोड़ने की गुहार लगा रही हैं, लेकिन एसपी साहब नहीं माने। एसपी ने युवक को सरेआम थप्पड़ मारी और कॉलर पकड़कर पीछे की खींचते हुए ले गए। 





बताया जा रहा है कि युवक मासूम को न्याय दिलाने के लिए एसपी साहब के गाड़ी के सामने लेट गया था। इसी बात को लेकर एसपी साहब इतना बौखला गए कि उन्होंने मारपीट और गालीगलौज की। मामले पर एसपी सुधीर कुमार सिंह का कहना है कि जनसुनवाई के दौरान पीड़ित परिवार मुझसे मिलने आए थे और मैने तत्काल एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया। 





एसपी ने वीडियो जारी कर कहा, 'सुनवाई के बाद जब मैं बाहर निकला तो एक लड़का गाड़ी के सामने लेटा हुआ था और कुछ लोग पत्थर लेकर सामने आ गए।  मैं गाड़ी से उतरकर लड़के को अंदर ले गया और पूछताछ करके छोड़ दिया।' इतना ही नहीं गाली-गलौज और थप्पड़ मारने वाली घटना पर उनका कहना है कि कुछ लोग राजनीतिक लाभ के लिए सोशल मीडिया पर ट्वीट कर रहे हैं। बहरहाल सवाल ये उठता है कि लोग भले राजनीतिक लाभ के लिए वीडियो को ट्वीट कर रहे हैं, लेकिन क्या बलात्कार पीड़िता के परिजनों के साथ ये व्यवहार उचित है?