नासा के पार्कर सोलर प्रोब नाम के स्पेस क्राफ्ट ने सूर्य के ऊपरी वायुमंडल को छूकर इतिहास रच दिया है। पार्कर सोलर प्रोब ने वहां के कणों और चुंबकीय क्षेत्रों से सैंपल भी इकट्ठा किए हैं। इसे सूर्य के अध्ययन में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। इस उपलब्धि के बारे में विज्ञान मिशन निदेशालय के सहयोगी प्रशासक थॉमस ज़ुर्बुचेन का कहना है कि पार्कर सोलर प्रोब 'टचिंग द सन' सौर विज्ञान के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है और वास्तव में एक उल्लेखनीय उपलब्धि है। सूर्य के उपरी वायुमंडल को करोना कहा जाता है। साल 2018 में पार्कर सोलर प्रोब की लॉन्चिंग हुई थी। इस पार्कर सोलर प्रोब का काम सूर्य पर करीब से नजर रखना है।

पार्कर सोलर प्रोब की यह उपलब्धि सौर विज्ञान के क्षेत्र में बड़ी सफलता है। इसे सूर्य के अध्ययन में मील का पत्थर माना जा रहा है। इससे वैज्ञानिकों को यह समझने में मदद मिलेगी कि इसका निर्माण कैसे हुआ, सूर्य जिस चीज से बना है, उसे छूने से वैज्ञानिकों को हमारे निकटतम तारे और सौर मंडल पर इसके प्रभाव के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी को उजागर करने में मदद मिलेगी।

वाशिंगटन में नासा मुख्यालय में विज्ञान मिशन निदेशालय के सहयोगी प्रशासक ने कहा है कि यह मील का पत्थर न केवल हमें हमारे सूर्य के विकास में गहरी अंतर्दृष्टि प्रदान करता है और यह हमारे सौर मंडल पर प्रभाव डालता है, बल्कि हम अपने स्वयं के सितारे के बारे में जो कुछ भी सीखते हैं वह हमें ब्रह्मांड के बाकी हिस्सों में सितारों के बारे में और भी सिखाता है।

सूर्य के इतने करीब से उड़ते हुए, पार्कर सोलर प्रोब अब सौर वातावरण के चुंबकीय रूप से हावी परत जिसे करोना कहा जाता है, उसकी स्थितियों को महसूस किया जा सकता है।  जो इससे पहले कभी नहीं हो सकता था। इससे चुंबकीय क्षेत्र डेटा, सौर पवन डेटा और करोना में होने के प्रमाण देखते हैं। इन तस्वीरों के जरिए स्पेस क्राफ्ट को कोरोनल संरचनाओं के माध्यम से उड़ते हुए देखा जा सकता है, जिसे पूर्ण सूर्य ग्रहण के दौरान देखा जा सकता है। पृथ्वी की तरह सूर्य की कोई ठोस सतह नहीं है। वहां पर अत्यधिक गर्म वातावरण होता है।

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 इस स्पेसक्राफ्ट ने कुछ साल पहले शुक्र ग्रह के उस हिस्से की तस्वीरें भेजी थीं, जिसे सामान्य तौर पर पृथ्वी से नहीं देखा जा सकता। नासा के पार्कर सोलर प्रोब ने शुक्र की अनसीन तस्वीर खींच कर भेजी थी। ये फोटोज पार्कर के वाइड फील्ड इमेजर से ली गई थी। पहला मौका है जब सूर्य के इतना करीब कोई भी स्पेसक्राफ्ट पहुंचा है। इस दौरान सूर्य से उसकी दूरी केवल 40 लाख मील थी।